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समस्या हमारे शहर बनारस की



समस्या हमारे शहर बनारस की

काशी के परिपेक्ष में कुच्छ भी नया कह पाना उतना ही मुश्किल है जितना सूरज को प्रकाशित करने का किया गया प्रयास। आज की काशी अधुनिकता की वांछित बदलाव के साथ ही साथ अतिवाद का भी शिकार हो रही है। हर तरफ़ ही सिर उठाये बहु-मंजिली ईमारते दिखाई पड़ने लगी ही। नित नए शॉपिंग मॉल प्रायः ही शहर में पनपने लगे हैं।लेक़िन इस बढ़ती हुई आवादी को न तो अब उस पुरानी गली का ही सुख नसीब है न तो उम्दा सड़कें हैं। हर तरफ़ ही उबड़ खाबड़ चलने की आधी अधूरी व्यवस्था ही देखने को मिलती है। सड़क ही कहे तो आज के काशी की सबसे बड़ी समस्या है, कूड़ा निस्तारण शायद दूसरे नंबर पर ही आये, बिजली की व्यवस्था तो पहले के वर्षों से ठीक ही है, पीने के पानी की समस्या गंगा मैया की नगरी में न के बराबर है, हैं साफ़ पानी तो अब एक सपना है जो के गटर का मुहाना गंगा मैया में खोलना ही इसका जड़ है। 
सभी बनारसियों की तरफ से सरकार से निवेदन है के सड़क की व्यवस्था जो कि हमारी मुख्य समस्या है, और जिससे रोज ही हमे दो चार होना पड़ता है, का समाधान मिल सके। 

काशी पत्रिका के मध्य से हमे जो विचार अभिव्यक्ति का साधन मिला है इसके लिए ऑनलाइन पत्रिका के संपादक और टीम का बहुत बहुत धन्यवाद। 

आईये और अपनी काशी के विषय मे लिखिए, शहर की आवाज़,बने काशी पत्रिका की आवाज़।