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बेबाक हस्तक्षेप... संपादकीय

बेबाक हस्तक्षेप... संपादकीय 

जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी वर्त्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को संविधान पढ़ने के सलाह देकर समाजवाद की दुहाई दे रहे है वो चिंता का विषय है।  क्या कोई ऐसा व्यक्ति मुख्यमंत्री की पद  पर आसीन हो गया है जिसे संविधान की जानकारी नहीं है या वो अनपढ़ है जो समाजवाद को नहीं जनता।  अगर ऐसा है तो समाजवाद उसके खिलाक खुलकर आंदोलन करने को कहता है समाज में मुख्यमंत्री उस राज्य का मुखिया होता है अगर मुखिया गलत है तो समाजवाद उसे आईना दिखाने की बात करता है जैसा जयनारायण जी ने किया था। 
मेरी तो मुख्यमंत्री जी को सलाह है कि वो खुलकर इस कथन पर अपना विरोध प्रस्तुत करे बात किसी जनसामान्य ने नहीं कही है बल्कि राज्य का पूर्व मुखिया ये बात कह रहा है। 

बात जहां तक राजनैतिक समीकरण की है तो अखिलेश जी को मेरी सलाह है कि पहले अपने चाचा शिवपाल जी को पार्टी में पूर्ण रूप से वापस लाए क्योकि समाजवाद यह भी कहता है की परिवार को अपनी आपसी कलह से बहार निकलकर समाज के लिए अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह करना चाहिए। 

- संपादक की कलम से 

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