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काशी सत्संग/एक ही जल, पर अलग-अलग फल



कुएं, तालाब, बारिश और नदियों का पानी सब फसलों को एक समान मिलता है। लेकिन फिर भी करेला  कड़वा, बेर मीठी और इमली खट्टी होती है। यह दोष पानी का नही है, बीज का है। वैसे ही, ईश्वर सभी के लिए एक समान है, लेकिन दोष कर्मो का है।
इसी प्रकार किसी की नजर में आप अच्छे हैं और किसी की नजर में बुरे। सचाई यह है कि जिसकी जैसी जरूरत है, उनके लिए आप वैसे हो। समर्थन व विरोध सिर्फ विचारों का होना चाहिए, व्यक्ति का नहीं। क्योंकि अच्छा व्यक्ति भी गलत विचार रख सकता है व बुरे व्यक्ति का भी कोई विचार सही हो सकता है।
अगर व्यक्ति इरादा कर ले तो उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं रहता। समस्याओं का समाधान सिर्फ स्वयं के पास होता है, जबकि दूसरे केवल सुझाव ही दे सकते हैं। प्रायः सफल व्यक्ति की शुरुआत में दो धारणा होती हैं, एक तो मेरा भविष्य वर्तमान से बेहतर होगा और दूसरा मेरे पास ऐसा करने का आत्मबल/साहस है। इसीलिए उत्साहशील व दूरदर्शी बनें।
ऊं तत्सत..

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