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अमृत-वाणी "वेदों में होमा पक्षी की कहानी है। वह चिड़िया आकाश में ही रहती है; जमीं पर कभी नहीं उतरती।.."

महापुरुषों को माया छू नहीं सकती 


वेदों में होमा पक्षी की कहानी है।  वह चिड़िया आकाश में ही रहती है; जमीं पर कभी नहीं उतरती।  आकाश में ही अण्डे देती है।  अण्डे गिरते रहते हैं , पर वे इतनी ऊंचाई से गिरते हैं की गिरते ही गिरते सच में वे फुट जाते हैं।  तब बच्चे निकल आते हैं।  वे भी गिरने लगते हैं।  उस समय भी वे इतने ऊँचें पर रहते हैं की गिरते ही गिरते उनके पंख निकल आते हैं और आँखें भी खुल जाती हैं।  तब वे समझ जाते हैं की अरे हम मिट्टी  में गिर जाएंगे, और गिरे तो चकनाचूर! मिट्टी  देखते ही एकदम अपनी माता की और उड़ जाते हैं।  माता के निकट पहुंचना ही उनका लक्ष्य हो जाता है। 

कुच्छ लोग वैसे ही हैं।  बचपन ही में संसार देखकर डर जाते हैं।  इनकी एकमात्र चिंता यही है की किस तरह माता के निकट जाए, किस प्रकार ईश्वर के दर्शन हों। 




बोधकथाएँ

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