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बेबाक हस्तक्षेप- पूर्वांचल राज्य की मांग

बेबाक हस्तक्षेप

अब पूर्वांचल राज्य की मांग को लेकर लोगो को जागरूक करने की आवश्यकता है जिस प्रकार छोटे राज्य बने से आज के दिन में उत्तराखंड की स्थितियां सुधरी है उसी प्रकार से देश के अति पिछड़े क्षेत्रो में शामिल पूर्वांचल को भी अलग राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए. ये मांग समयानुकूल भी है और जायज भी। अब तक की सरकारों ने पूर्वांचल को केवल वादों के पिटारे में बांध रखा है जब की अन्य क्षेत्र विकास में कही आगे निकल गए है।  

पूर्वांचल राज्य बनने से सभी प्रकार के विकास कार्य दो चरणों में होंगे एक तो केंद्रीय स्तर पर दूसरा राज्य के स्तर पर और ये लम्बी प्रक्रिया न बनाई जाए बल्कि इसका जल्द निपटारा कर २०१९ के होने वाले लोक सभा चुनाव के पहले ही इसका निपटारा कर लिया जाना चाहिए।  

क्षेत्र के आम जनता की दिनोहल का हवाला ही काफी है इस क्षेत्र को राज्य का दर्जा दिए जाने के लिए उसके आलावा व्यापर, शिक्षा, स्वास्थ, बेरोजगारी, पलायन और न जाने कितने मुद्दे मुँह खोले खड़े है जिनका निपटारा अलग राज्य बनाकर ही किया जा सकता है।  

ये प्रक्रिया पूर्वांचल राज्य के सर्वांगीण विकास में मील का एक पत्थर साबित होगा। 

ये लेखक के निजी विचार है। 

- संपादकीय 

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