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कटाक्ष-'बाबा-बाबा सब कहे माई कहे ना कोय ;बाबा के दरबार में माई कहे सो होय...


  बाबा जउन इच्छा

गौरा माई नाराज होके बाबा के कहलिन 'खाली बाबा-बाबा बोलिहन बनारसी की कुछ करिहन भी'.ता बाबा चाहत हउअन की मंदिर के आस-पास के जमीन खरीदवा के बढियाँ आंगन बन जाये के भक्त आवें और मजा लेवें. भक्त चाहत हउअन की बाबा का दर्शन मिले, बैठे के जगहं मिले, धक्का-मुक्की से निजात मिले.
गंगा का स्नान हो अऊर सीधे दर्शन. बाबा के भी थोड़ा हवा-पानी मिले.बहुत मिला ता दूर से परणाम कर के निकल लेत हौं की के जाई गली में कीचड़ के रास्ता सेजे सटले रहत होवन दर्शन करिहैं बाबा ता घर के खेती हउअन बाकि जे दूर से आवत हौ ओके बुझाते नहीं हौ की केहर से घुसीं. वही में कचर-पचर होत हौ. मन के दर्शन ना मिळत हौ.

ता माई कहलेस बाबा कुछ करा. बाबा कहलन की बड़ा पैसा रखले हउअन हमरे नाम से लेकिन सारे ब्यवस्था नहीं ठीक करतन. एक दिन कउनो के खोपड़ी में घुस गैलन कहलन अबे हवा-पानी आवे दे जमीनिया कुल खरीद ले और बनाव ब्यवस्था.
फेंकू बाउ कहलन की अबे रामखेलावन बाबा सपने में आयल रहलन और गरियावत रहलन की खाली बोकरादि होइ की कुच्छो ब्यवस्था भी बनी. चल बुलाव सबहन के और लप से काम लगवा दे.

लेकिन बनारसी कैसे मनिहें कहलें की बाबा हमके ता कहलन.  बनी ब्यवस्था खरदायी जमीन , कुल गली कुचा धरोहर बा. बाबा नीलकंठ हउअन ऐसेहिं रहियँ अंड-बांड ब्यवस्था में मनाई. बाबा के चिंता मत करा औरंगजेब तोडले हउअन वही आइहैं तब्बे फरियाई. 

बाबा से बड़- पुरान कौन धरोहर बा भइया. रामखेलावन पुछलन की बाकि जउन तोड़ के मकान बनत हौ नया गल्ली-गल्ली हउ कुल धरोहर नाही बा का. ता फुलनु चा कहलन नाही गल्ली धरोहर बा. तू लोग का जनबा तू लोग थोड़े रहला ५०० साल पहले. जउन जैसे हउ वइसही रही नाही ता छाइयट होइ. कुल भुत, प्रेत, पिसाच हमरे समर्थन में हउअन.

अब बेचारु रामखेलावन फेंकू बाउ सुने के फुलनु चा के, कुल ता घरहि के हउअन .बांसफाटक पर बैठ के सोचत हउअन की "जवन बाबा के इच्छा".

'बाबा-बाबा सब कहे माई कहे ना कोय ;बाबा के दरबार में माई कहे सो होय.'

जय माँ गौरा  हर हर महादेव. 

सभार: आदेश भट्ट जी 

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