Pages

Pages

Pages

काशी के बाबा केदारनाथ: खिचङिया महादेव


एक पौराणिक कथा के अनुसार राजा मान्धाता नित्य शंकर भगवान की पूजा- अर्चना करते एवं दान इत्यादि के उपरान्त ही भोजन करते थे। एक दिन उनके मन में विचार आया कि शरीर कमजोर हो रहा है पूजा-अर्चना भी ठीक तरह से नहीं हो पा रही है, तो आप (केदार नाथ) ही कोई उपाय करें।
इस विचार को आए कुछ समय बीत गया। मकर संक्रान्ति का दिन था, राजा मान्धाता ने शंकर भगवान की पूजा-अर्चना की और  भोग के लिए बनाई खिचड़ी को दो भाग में बांट दिया। इतने में कोई ब्राह्मण आकर भिक्षा की याचना करने लगा। राजा ब्राह्मण को भिक्षा देने के लिये उसके पीछे चले गए। वापस लौटकर क्या देखते हैं कि भोग के रूप में बची खिचड़ी लिंग के रूप में परिवर्तित हो गई है, उसी समय से बाबा केदार नाथ को खिचड़िया महादेव भी पुकारा जाने लगा।

मंदिर और औरंगजेब से जुड़ी अनोखी कथा
जिस समय औरंगजेब काशी के मंदिरों पर हमला कर रहा था, तो बाबा केदार नाथ का यह मंदिर भी इससे अछूता नहीं रहा। मंदिर में पहुँच कर उसने नंदी पर तलवार से कई हमले किए, जिसके निशान आज भी मंदिर में मौजूद नंदी की मूर्ति पर देखे जा सकते हैं। औरंगजेब नंदी पर हमला कर रहा था, उसी समय मंदिर के भीतर से भौरों के विशाल झुंड ने औरंगजेब पर धाबा बोल दिया। मजबूरन औरंगजेब को हटना पड़ा। औरंगजेब ने कहा था, कि इस मंदिर में कोई बहुत पहुँचा हुआ फकीर रहता है,और उसने एक पीतल का ढाई मन का घंटा मंदिर में दान किया, जो आज भी मंदिर के उपरी भाग में मौजूद है।

No comments:

Post a Comment