सनातन काशी का कण-कण शंकर है। परमधाम काशी में धर्म चिरस्थाई और शाश्वत है। कभी यहाँ तथागत बुद्ध उपदेश देते है तो वही मध्यकाल में कबीर, तुलसी, रैदास की सामाजिक चेतना के रूप में धर्म आम जन के दैनिक क्रियाकलापों के रूप में रचा-बसा मिलता हैं। अनेकानेक साधु-संतो,मठों, आश्रम,गुरुकुल,धर्मप्रचारकों की एक लम्बी श्रृंखला है जो काशी को धर्मक्षेत्र...
Dr. Siddharth Singh
February 13, 2021
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हर ठौर गुजरी आहिस्ते से हस्ती-खिलखिलाती रुककर खींचती अंगड़ाइयाँ लेते 'सिफ़र' कई और सफर है तुझी से रूबरू साथ ही रहना ऐ जिंदगी; हमसफ़र बनकर........ 'मिर्ज़ापुर' बड़ा ही दिलचस्प जिला है; बनारस से लगभग 60 किमी दक्षिण-पश्चिम में माँ गंगा के किनारे बसा मुख्य शहर और बीहड़ पहाड़ियों में छोटे-बड़े बसे अनगिनत बस्तियों वाला। चट्टानों से अठखेलियाँ करते जूझते...
नासा का पारकर प्रोब सूर्य के राज खोलने को तैयार
अगले महीने 4 अगस्त को नासा अपने प्रोब पारकर को लॉंच करेगा। ये सूर्य की कोरोना और इसके हीट वैव के कारणों का पता लगाएगा। ये अपनी तरह का पहला मिशन होगा जिसमे कोई मानव निर्मित सेटेलाईट सूर्य के इतने नजदीक जाकर हमें उसके बारे में जानकारी देगा। कुछ समय तक पहले ये संभव नहीं था क्योकि सूर्य का तापमान बहुत अधिक हैं।...
चैत्र नवरात्र- वर्तमान समय में क्या करे?
Dr. Siddharth Singh
March 24, 2020
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सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥
इस वर्ष चैत्र नवरात्र का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल पक्ष प्रथमा से अर्थात 25 मार्च से प्रारंभ होकर 2 अप्रैल अर्थात रामनवमी को समाप्त हो रहा हैं। इसी शुभ समय में देश में ऋतु परिवर्तित होता हैं और सम्पूर्ण वातावरण एक आध्यात्मिक ऊर्जा से गुजरता हैं। शुभ मुहूर्त में...
दिहबे अरघिया घाट हम जाइके...
Dr. Siddharth Singh
November 02, 2019
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भारतीय संस्कृति अपनी विविधता और सप्तरंगों के कारण प्राचीन काल से ही विश्व को आकर्षित करती रही है। आज भी इसने अपनी परम्पराओं को जीवित रखा है, जिनमें त्योहारों का विशेष महत्व है। ऐसा ही एक मनमोहक व्रत-त्योहार है छठ। जिसमें प्रकृति में सत्य के प्रतीक सूर्य की पूजा का विधान है।
यह पर्व भारतीय कैलेंडर के अनुसार कार्तिक शुक्ल षष्ठी अर्थात दीपावली से ठीक छठे...
धान के खेतों में मुस्कुराती बरसात की बूंदे
Dr. Siddharth Singh
August 19, 2019
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शहरों में धूल तो खूब देखी होगी, वो भी जब इंडिया रोज बन रहा है। बड़े शहर तो इस धूल को शान की बात समझते हैं। चमचमाती कार के शीशों से सड़क से गुजरते कुछ गिनती के बचे गरीबों को इसमें सने देखना एक अलग ही अनुभव है, इस नए इंडिया में। ये गरीब अलग नहीं हैं हम-आप जैसे लोग ही हैं, जिन्होंने शहरी जीवनयापन को अपना पेशा बनाया है। घर से दफ़्तर और दफ़्तर से घर,...