बेबाक़ हस्तक्षेप...
आज जिस तरह से उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार की नीतिया चल रही है उसमे २०१९ का केन्द्रीय चुनाव उसके लिए भाड़ी पड़ सकती है। एक ओर अच्छे दिन का हवाला देने वाली सरकार नित नई घोषणाऐं कर रही है तो उनके द्वारा किए पुराने वदो पर नीति नियंता पानी फेरे जा रहे है।
बेरोजगारों की इतनी लम्बी फौज अपना पेट भड़ने के लिए मुँह बाए सरकार की और देख रही है तो केन्द्र के कुछ मंत्रियों को छोड़ कर सभी हिला-हवाली में ही लगे दिखाई दे रहे है।
एक ग्राम सांसद के नाम, में आज के दिन में कितने गावों का कायाकल्प हुआ सरकार को इसका लेखा जोखा देना चाहिए। लगता है सरकार अपने ही लोगो को घुमाने का प्रयास कर रही है जिसने २०१४ के इलेक्शन में उसे बढ़ -चढ़ कर वोट दिया था।
शायद सरकार इस ओर से अपना मुँह फेरे बैठी है कि जमाना न तो महात्मा गाँधी का है न ही सरदार वल्लभ भाई पटेल जी का अगर जल्द ही धरातल पर सामाजिक कार्यो का लेखा जोखा नहीं दिखाई पड़ा तो जात और संप्रदाय के नाम पर सरकार २०१९ का केन्द्रीय चुनाव तो जितने से रही।
-संपादकीय