धर्म, अध्यात्म और मोक्ष की नगरी काशी के बारे में पौराणिक मान्यता है, "काश्याम् मरणान् मुक्ति:" अर्थात काशी में मरने मात्र से जीवात्मा को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
तस्मात्काशी ब्रह्मरूपा जडपृथ्वीरसङ्गता।
महर्जनस्तपोलोकवासिभिर्मुनिभिर्मही।।
(काशी रहस्य)
इसलिए काशी ब्रह्मरूप है, जो पृथ्वी से सङ्गत नहीँ है। महः, जनः, तपः लोक में निवास करने वाले ऋषियों से यह मुक्त रहती है।
स्थूलादपि स्थूलतरा काशिका ब्रह्मरूपिणी।
यथा मनुष्यदेहेsस्मिन् शोधिते भांति वस्तुतः।।
स्थूल से स्थूलतर काशी ब्रह्मरूपिणी है। जैसे मनुष्य के शरीर में स्वच्छता है, वैसे ही काशी में स्वच्छता और पवित्रता है। काशी की पवित्रता से ही काशी में मनुष्यों के पाप नष्ट होते हैं।
(संदर्भ: काशी महात्म्य)
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