तिलभांडेश्वर मंदिर
तिलभांडेश्वर मंदिर वाराणसी ही नहीं अपितु भारत के एक प्रसिद्ध शिव मंदिर में से एक है। यह माना जाता है कि इस मंदिर के शिव लिंग हर मकरसंक्रांति को तिल की लंबाई के बराबर हर साल बढ़ रहें हैं। माता शारदा ने इस मंदिर में कुछ दिन बिताए थे।
यह मंदिर मलयाली और बनारसी संस्कृति पर आधारित है। इस मंदिर में महाशिवरात्रि का उत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। श्रावण, नवरात्रि, मकर संक्रांति, अयप्पा पूजा इस मंदिर में मनाया जाने वाला दूसरा त्यौहार है। इस मंदिर के अन्य मंदिरों में मा पार्वती, विठ्ठेश्वर, भैरव और भगवन अयप्पा हैं। इस मंदिर में मौजूद लिंग आत्म प्रकट या स्वयभू है जो आज के समय में बढ़ते-बढ़ते जमीन से लगभग २५ फीट ऊपर आ चूका है।
यह मंदिर वाराणसी में सोनारपुरा मोहल्ले में एक पतली सी गली में स्थित है। काशी खण्ड स्थित ये वाराणसी के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है कहते है आदि शंकराचार्य जब वाराणसी भ्रमण पर यहाँ आए थे तो वो इस मंदिर के जागृत स्वरूप को देखकर भाव- विभोर हो गए। हर साल तिल के बराबर बढ़ने वाला ये शिव मंदिर वाराणसी के तीन सबसे बड़े शिवलिंगो में से एक है।
No comments:
Post a Comment