बाबा सुतनखु का खत - Kashi Patrika

बाबा सुतनखु का खत

गपशप 

का हो कइसन हउअ जा बाल बच्चा सब मस्ती में और सुनावल जाएं। आज हमनी और पेड़ पौधा का बात करल जाए जो एदा पारी बरसात में लगावल जाइ। 

गुलमोहर - गुलमोहर का पौधा हल्का होला आउर जल्दी बड़ा भी होला। एकर पेड़  ५ मीटर से १२ मीटर ले बड़ा होला। हमनी के गावे में एकरे सुंदरता बदे लगावल जा ला। एकरे अंग्रेजी में फ्लेम ट्री कहल जा ला और एकर धार्मिक महत्त्व भी हो ला। जड़ भी जमीने में ज्यादा दुरी ले नाही जाइ।  ता लोगन एके हमनी छोट मोट जगह पर लगावल जाइ। एकर फूल लाल और पीला हो ला। देखे में जब फूल खिलाल रही एकर सुंदरता का सानी और कोनो पेड़ से नाही हो पाई। 

गुलमोहर की छाँव / अरुणाभ सौरभ
सन्नाटे में साँस
जैसे चलती हवाओं का स्वर
जैसे हरे पेड़ का धरती को चुंबन
गुलमोहर के हाथ टूटे हुए
बिखरे हुए
एक प्यारी लड़की के फूल से हाथ में
रख देता गुलमोहर का लाल-लाल फूल
उसके जूड़े में खोंसता
इसी हरी पहाड़ी के नीचे
धूप की ताप के विरुद्ध
गुलमोहर की छाँव में
लाल गुलमोहर की छाँव हो तुम
जो मेरा बोधिवृक्ष है
जिस छाँव में गहराइयाँ टटोलता हूँ अपनी
रोम-रोम को धूप से बचाकर
दुनिया की नज़रों से आँख चुराकर
इसी हरी पहाड़ी के ताल मे
इसी झील के किनारे
चलती हवाओं के साथ
इसी पत्थर पर बैठकर
गुलमोहर की छाँव में
तुम्हारी आँखों को पढ्ना चाहता हूँ
यह गुलमोहर सिर्फ एक पेड़ नहीं है
यह तो सभ्यताओं की कहानी है
आत्मा की कातर पुकार है
निःशब्द गवाही देता है
प्यार की,पूर्णता की
सम्पूर्ण कर देता है
मेरा-तुम्हारा प्यार
यह गुलमोहर आँख है
बेहद प्यारी आँखें
तुम्हारी आँखें जैसी
इसके हरे पत्ते की छांह से छनकर
आती धूप की टुकड़ियाँ
आँखें जैसी दिखती है ज़मीन पर
देह पर पड़ने पर
हजारों आँखें बनती हैं
समेट लूँ मुट्ठियों में
इन सभी धूप की टुकड़ियों को

आओ,कि इतने दिनों से
यह गुलमोहर तुम्हारा साथ पाने को व्याकुल है
तुम्हारे माथे पर प्यार से
टपकेगा
एक-एक , लाल फूल
आँचल मे भर और लाल हो जाएगा
माफ कर देना भूल-ग़लती
मेरा साथ
तुम्हारा साथ
अब हमारा साथ बनकर
गुलमोहर के साथ का
हिस्सा बन जाएगा

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