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कर्दमेश्वर महादेव के पास स्थित विश्राम स्थल। |
काशी में आना और सबसे पुण्य काम माना जाता है इस अद्भुत नगरी की परिक्रमा तो हम बात कर रहें है पंचक्रोशी परिक्रमा की। जी हाँ आप ने सही पहचाना ये वही पहला पड़ाव है जहां यात्री विश्राम करते है और रात के समय सामूहिक रूप से भजन-कीर्तन करते है।
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पुरानी वास्तुकला का अद्भुत नमूना पूरा आँगन खुला है और प्रवेश द्वार से अंदर आते ही चारो कोनो पर रहने का कमरा बना है। आँगन में कुआं है जो मीठा जल देता है साथ में है गृहमंदिर और स्तम्भ जिसमें तुलसी का पौधा लगाया जाता है। |
तो बात करते है पंचक्रोशी परिक्रमा की। ये काशी नगरी की पांच दिनों में की जाने वाली परिक्रमा है जिसे यात्री हर रोज की पैदल यात्रा के साथ अलग-अलग स्थान विशेषो पर रुक कर पूरी करते है। मणिकर्णिका से प्रारम्भ कर बाबा विश्वनाथ के दर्शन और संकल्प के साथ ये यात्रा प्रारम्भ होती है। पहला पड़ाव होता है कर्दमेश्वर महादेव या कंदवा जहाँ पर काशी का सबसे प्राचीन साबूत मंदिर स्थित है। कहते है कर्दप ऋषि ने यहाँ पर घोर तपस्या की और महादेव से वरदान पाया। उन्ही की एक संतान हुए कपिल मुनि।
यात्रा का दूसरा पड़ाव होता है भीमचण्डी यहाँ का मंदिर और तालाब अत्यंत सुन्दर है और आप काशी के ग्रामीण क्षेत्र को देख रहे होते है। तीसरा पड़ाव है होता है रामेश्वरम। वरुणा नदी के किनारे स्थित यह अत्यंत रमणीय स्थान है। यहाँ की किंबदन्तिया भी उतनी ही रोचक है। हम चाहेंगे आप स्वयं यहाँ आकर इन किंबदन्तियों का जाने। इसके बाद पड़ाव आता है। चौथा पड़ाव होता है पांच पांडव और आप काशी के ग्रामीण परिवेश को छोड़कर पुनः शहरी परिवेश में प्रवेश कर रहे है। पांचवा और आखरी पड़ाव होता है कपिलधारा का जो पुनः इसी तरह की बनावट से बना एक सुन्दर परिवेश है।
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विश्राम स्थल पर प्रवेश द्वार से लिया गया चित्र। |
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भारत कला भवन, बीएचयू स्थित श्री कृष्ण की आठवीं से दसवीं शताब्दी की मूर्ति। |
भारत कला भवन काशी के एक सबसे व्यवस्थित संग्रहालयों में से एक है। यहाँ पर आप को अलग-अलग वीथिकाओं में बहुत कुछ देखने को मिल सकता है जैसे ये मूर्ति। पेंटिंग्स के लिए एक विशेष हाल है जिसमे आप अपने इतिहास को जितनी बार निहारेंगे आप खुद को तरोताजा महसूस करेंगे।
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कभी काशी की पहचान माना जाने वाला पीपा पुल जो इसे रामनगर से जोड़ता था। साथ ही नए पल का कार्य हो रहा है जो अब पूरा हो गया है और यात्रियों के लिए सुलभ है। |
रामनगर अपनी अद्भुत किले के लिए जाना जाता है साथ ही साथ यहाँ किले के भीतर एक संग्रहालय भी है। आस पास अनेक रमणीय स्थल है जिनका आप आनंद ले सकते है। देवी के मंदिर, पंचवटीका इत्यादि।
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बरईपुर की मस्जिद जहाँ का जल अत्यन मिटा है। |
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इस सफर के मेरे साथी। |
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लौटुबीर बाबा का अखाड़ा। |
सफर की बहुत सारी कहानियां है जो अब किंबदन्तियाँ बनने के कगार पर है पर फिर कभी।
आपका अपना घुमक्कड़ साथी।
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