“ तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक, साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक.”...
आज की इस व्यस्तम जीवनचर्या के हम इतने आदि होते जा रहे है कि शांति के बारे में सोचना टेडी खीर साबित हो रहा है। पर आज आपका ये सर्वोत्तम पक्षकार आपके साथ सुकून के कुछ लम्हें जरूर बाटेगा। हमारी छोटी- छोटी खुशियों को भरपूर रूप से जीने की आदत अब पीछे छूटती जा रही है जिसे बचाना आपकी और हमारी दोनों की आवश्यकता है। क्या दिन हुआ करते थे जब हम यूं भी कभी बैठे-बैठे सारा दिन हसी-मजाक में निकाल दिया करते थे ऐसा नहीं है कि समय तेजी से बदल रहा है पर नियत समय से हमारी अपेक्षाए बढ़ती जा रही है।
आज जहां सारी दुनियां एक दोराहे पर खड़ी है कि आगे विकास के मायने क्या होने वाले है वही हम और आप की ओर बड़ी उत्सुकता से देखा जा रहा है कि आने वाले भविष्य में भारत क्या कर रहा होगा जिसने अपनी संस्कृति और सभ्यता अभी तक बचा के रखी है। हमारा मूल्यांकन कोई और करे उससे पहले हमें अपना मूल्यांकन सम्पूर्ण रूप से कर लेना चाहिए। क्यों आप ऐसा नहीं चाहते ? कि कोई आपको जानने के लिए इतनी मेहनत करे और आप और हम कुछ और कर रहे हो जब वो इस निष्कर्ष पर पहुंचे की भारत ही वो सर्वोत्तम पक्षकार है जो दुनिया को भविष्य की राह दिखाने वाला है।
हमारा प्रकृति प्रेम, भाईचारा, सद्व्यवहार और परेशानियों से निपटने का अपना अनूठा अंदाज ये सभी आज शोध का विषय होता जा रहा है क्योकि ऐसा नहीं है कि हमने अपनी संस्कृति केवल एक अनुकूल वातावरण में सुरक्षित रखी है बल्कि भारतीय विश्व में जहाँ भी गए है उन्होंने अपनी संस्कृति को समयानुकूल ढ़ाला और फिर से संस्कृति और सभ्यता की नई पौध को वहां भी विकसित किया है।
तो आप का सर्वोत्तम पक्षकार आपके सुकून के लम्हों में आपसे यही आग्रह करता है कि अपनी संस्कृति को वैसे ही बचाइए और सहेजिए जैसे कभी आपके पुरखो ने सहेजा और आप को हस्तांतरित किया।
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