कोरबा स्थित पुरातत्व संग्रहालय में रामलीला को उर्दू में बयां करने वाली एक ऐतिहासिक किताब रखी हुई है। लिखावट व छपाई की पद्धति को देखकर पुस्तक की रचना मुगलकाल में किए जाने का अनुमान है। विशेषज्ञों का मत है कि हिंदू मान्यताओं में प्रचलित मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का चरित्र जानने व समझने के लिए ही मुगलों ने इस किताब की रचना कराई थी। इसे पढ़ कर यह भी पता चलता है कि नाट्यकला में भी इसका प्रयोग किया जाता था।
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