आज जिस तेज गति से केंद्र सरकार अपने निर्णय ले रही है वो सराहनीय कदम है। जिस ओर देखो विभिन्न क्षेत्रो में गति दिखाई पड़ती हैं. सराहनीय कदम होने के साथ ही केंद्र सरकार को हमरा फर्ज याद दिलाने का भी कार्य विभिन्न सामाजिक संस्थानों के द्वारा हो रहा है। इस परिपेक्ष में हम सरकार को १० में से १० अंक दे सकते है।
पर बहुत सारे ऐसे विषय है जहाँ ध्यानाकर्षण की भी आवश्यकता है जैसे कि विभिन्न योजनाओं में अधिकारियों द्वारा हिला-हवाली, इससे कार्यो का केवल पेपर पे पूर्ण होना २०१९ के चुनावों में केंद्र सरकार के लिए घातक हो सकता है। यहाँ दिखने वाले सबसे बड़े विरोधावास को केंद्र सरकार को जल्द से जल्द भरना होगा।
साथ ही एक और महवपूर्ण विषय है जो लोकतंत्र के लिए कभी भी सर्वमान्य नहीं हो सकता वो है विपक्ष का निराशात्मक रवैया। इसमें हम विपक्ष की भूमिका के रचनात्मक न होने के पहलु को तो देख ही रहे है पर वर्तमान केंद्र सरकार के कार्यकाल में ऐसा कोई भी सुझाव या निर्णय नहीं आया जहाँ विपक्ष को साधने का सर्वमान्य प्रयास किया गया हो।
चाहे जो हो जाए सरकार को विपक्ष को एक मंच पर लाने का प्रयास करते रहना होगा।
(ये लेखक की निजी विचार है। )
- संपादकीय
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