सर्वोत्तम पक्षकार - Kashi Patrika

सर्वोत्तम पक्षकार

आज हम जितनी तेजी से बदलती दुनिया में जी  रहे है वहां बहुत कम चीजे है जो शाश्वत है। हम वही शाश्वत बनना चाहते है आप के साथ जुड़कर।
 
आज का आपका सर्वोत्तम पक्षकार आपको जीवन के कुछ नए आयामों से अवगत कराएगा। आज हम बात करेंगे जीवन के विभन्न पड़ावों की; और वहां होने वाले कुछ बदलावों की। आप का सर्वोत्तम पक्षकार आप को उन पड़ावों पर मजबूती से खड़े रहने और आगे बढ़ने के विषय में बताएगा।

जीवन का सबसे पहला पड़ाव होता है बचपन। मेरा मानना है कि यह जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव होता है और यही आप की जड़(आपके मन) का निर्माण होता है। इसमें खाद-पानी आपका परिवार और माता-पिता, पारिवारिक परिवेश महत्वपूर्ण योगदान देते है। यहाँ होने वाले हर बदलाव, आप को जीवन में आगे आने वाले पड़ावों के लिए परीक्षण करने की स्वतंत्रता प्रदान करते है। यहां आप स्वतन्त्र होते है और आपका मन हर दिन होने वाले बदलावों के साथ बड़ा और दृढ हो रहा होता है। कहते है अगर किसी की ऊंचाई की माप करनी हो तो उसके बचपन को जानो। पूत के पाव पलने में नजर आते है। 

इस पड़ाव के विषय में हम आप को कहेंगे की आप जितना परिक्षण संभव हो वो सभी करे और किसी बात की परवाह मत करे। अभिभावकों को हम कहना चाहेंगे की अपने बच्चो को स्वतंत्रता के साथ नैतिक शिक्षा का पाठ भी इसी उम्र में पढ़ाए। 

आगे आने वाले जीवन के पड़ाव की तैयारी करना मत भूले। इसके आगे का पड़ाव होता है आपके जीवन में चुनाव करने का की आप बनना क्या चाहते है और उसके लिए जीवन बीज बोने का। धीरे धीरे आप जवानी की दहलीज की और बढ़ रहे होते है और बीच के पड़ने वाले पड़ाव आप के मासूम बचपन से बड़े होने के बीच काफी साल लेता है। आप यहाँ हर ओर बदलाव नहीं देखते वरन अपने अंदर हो रहे बदलावों को पहचानने लगते है।

जीवन के इस पड़ाव पर शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण योगदान देती है अपनी शिक्षा पूरी कर आप बड़े होकर जवान हो जाते है और अपने निर्णयों के लिए स्वतन्त्र और उत्तरदाई होते है। 

इस पड़ाव पर होने वाले बदलावों को समझना बहुत आवश्यक है जैसे आप को किसी पर निर्भर न रहने की शिक्षा ले लेना चाहिए, अपने निर्णयों को स्वयं लेने की समझदारी विकसित कर लेने चाहिए। 

जीवन में इसके आगे का पड़ाव होता है प्रौढ़ता। जीवन के इस पड़ाव तक पहुंचने में आप काफी लम्बा समय बिता चुके होते है और अब आप की दिनचर्या नियमित हो जाती है। आप अब चाह कर भी स्वयं को बड़ी मुश्किल से बदल सकते हैं। 

इस पड़ाव पर पड़ने वाले बदलाव में कुछ भी खास नया नहीं होता बस रोज की नियमित दिनचर्या होती है। 

आगे के पड़ाव में आप शादी ब्याह के बाद गृहस्त जीवन में प्रवेश करते हैं और अपना परिवार बढ़ाते है। इसके बाद वृद्धवास्ता  आती है। 

जीवन में कुछ भी किसी भी समय नामुमकिन नहीं है बस आप को सही दिशानिर्देश देने वाले की आवश्यकता होती है। 


- सर्वोत्तम पक्षकार

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