न जाने कितनी बार हम जीवन की भागम-दौड़ में अपने सबसे अच्छे साथी को खो देते है; आज आप का ये सर्वोत्तम पक्षकार आपके उन साथियों से मिलने का आग्रह करने वाला है।
मेरी खुद्दारी तुम्हारी यारी है;
जब तक मैं हूं तू भी है।
... कुछ ऐसी ही भावनाओं से हम दोस्त बनाते है; फिर आखिर ऐसा क्या हो जाता है कि जीवन की हलकी भागम-दौड़ में ही हम अपना सबसे अच्छा दोस्त खो बैठते है। अगर मैं ऐसा कहु और आप से प्रश्न पुछू तो अधिकांश कहेंगे हमारी प्राथमिकताऐं बदल जाती है और समय उस दोस्त के स्थान को घर-बार और रिश्तेदारों से भर देता है।
अगर मैं आप की इस दलील को सिरे से नकार दू और सीधे शब्दों में कहूं की आप मतलबी हो जाते है और जो यारी आप ने कभी बिना मतलब के की थी उसमे भी मतलब ढूंढने का व्यर्थ प्रयास करने लगते है। दोस्त जीवन का सबसे सुन्दर उपहार होता है और ये आपका सबसे प्यारा रिश्ता भी होता है; इसलिए मेरा मानना है और मैं इसे सलाह के रूप में दुसरो को भी देता हूँ कि आप को ताउम्र अपने दोस्तों का खास ख्याल रखना चाहिए और अगर उसके पास आप के लिए समय न भी हो तो आप उससे समय निकलने को कहे वो भी बिना मतलब के।
अगर मतलब ही सब कुछ है तो आप की यारी नहीं होती और अगर यारी-दोस्ती है तो मतलब नहीं होगा। अब आप को निश्चय करना है की आप मतलबी बनते हुए दुनियादारी निभाना चाहते है या अपनी खुद्दारी को अपने पास रखना चाहते है।
वैसे मैंने अपनी सारी उम्र बहुत से दोस्त बनाए है और सभी से मेरा व्यवहार आज भी वैसा ही है और अगर जीवन के किसी भी मोड़ पर मेरे दोस्तों को खुदा न ख़ास्ता किसी भी सलाह की आवश्यकता होती है तो वो बिना मतलब के मेरे पास आते है।
- सर्वोत्तम पक्षकार
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