बाबा सुतनखु का खत - Kashi Patrika

बाबा सुतनखु का खत

गपशप 

आज एक खे कहानी सुना वचवा लोगन हमार परम मित्र गुरु घंटाल का, जब देखा तब पकड़-पकड़ करत रहलन; मुँह में पान घुलल ता मजाल है का हु है हा से ज्यादा कुछ बोल दे।  अइसन हउअन गुरु घंटाल।   

एक बार हम दुनो जने घाटे पर बइठल बतियावत रहली कि इतना में एक टो चम्पक टाईप का लइका आ भैल।  गुरु ता ऊके देखते मातर पैन थुकलन और ठहाका लगा के है देहलन। गुरु घंटाल हउअन ठहरलन जलेबी नियर सिद्ध लप्प से चम्पक के बैठा लेलन बाजु में और होए लागल गपशप। 

बस फिर का गुरु घंटाल का एक सबाल और चंपकवा का दुइ जवाव आखिर में चंपकवा जब कुल जबाब दे भैलस तब गुरु घंटाल पुछलन रहे वाला कहा का हउअ बचवा?

चम्पक - सुन्दर पुर।  

बस इतना कहे का रहे हमरो मुँह से ठहाका निकल गइल। 

बाकि मिले पर 

- बाबा सुतनखु 

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