मौन होना सीखो/ओशो - Kashi Patrika

मौन होना सीखो/ओशो

कभी-कभार मौन में संवाद स्थापित करना प्रारंभ करो। अपने मित्र का हाथ थामे, मौन बैठ जाओ।शांति को महसूस करो, देखना संवाद घटेगा...


मौन होना सीखो। और कम से कम अपने मित्रों के साथ, अपने प्रेमियों के साथ, अपने परिवार के साथ, यहां अपने सहयात्रियों के साथ, कभी कभार मौन में बैठो। गपशप मत किए चले जाओ, बातचीत मत किए चले जाओ। बात करना बंद करो, और सिर्फ बाहरी ही नहीं--भीतरी बातचीत भी बंद करो। अंतराल बनो। बस बैठ जाओ, कुछ मत करो, एक-दूसरे के लिए उपस्थिति मात्र बन जाओ। और शीघ्र ही तुम संवाद का नया ढंग पा लोगे। और वह सही ढंग है।

कभी-कभार मौन में संवाद स्थापित करना प्रारंभ करो। अपने मित्र का हाथ थामे, मौन बैठ जाओ। बस चांद को देखते, चांद को महसूस करो, और तुम दोनों शांति से इसे महसूस करो। और देखना, संवाद घटेगा--सिर्फ संवाद ही नहीं, बल्कि समागम घटेगा। तुम्हारे हृदय एक लय में धड़कने लगेंगे। तुम एक ही तरह का मौन महसूस करने लगोगे। तुम एक ही तरह का आनंद महसूस करने लगोगे। तुम एक-दूसरे की चेतना पर अतिछादन करने लगोगे। वह समागम है। बिना कुछ कहे तुमने कह दिया, और वहां किसी तरह की गलतफहमी नहीं होगी।

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