बाबा सुतनखु का खत - Kashi Patrika

बाबा सुतनखु का खत

 गपशप

का हो लोगन कइसन हउअ जा बाल-बच्चा सब मस्ती में और सुनावल जाए। आज हमनी बात करल जाइ कौन-कौन से पेड़ लगावल जाइ ई बरसाते में। 

कदम्ब - कदम्ब के पेड़ की औसत उचाई हो ला १२० फीट। ई पेड़ आपन लोगन के माहौल में तेजी से बढ़ा ला और छायादार होला। ए में हल्का नारंगी फूल निकलेला जेकर इस्तेमाल परफ्यूम बनावे में हो ला। जब पेड़ बहुत बड़ा हो जा ला त एकर छटाई करल जा सका ला। पेड़ सीध होइ। छह से आठ साल में  पेड़ पूरा बड़ा हो जा ला। एकरे तना का गोलाई में १०० से १६० सेमी होइ। एकर फूल गोला नियर होइ और अपने आप हवा और बरसात में फ़ैल के और जगह उग जाइ। 

एकरे ऊपर एक ठे कविता भी लिखले हइन सुभद्रा कुमारी चौहान जी..

ये कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे
ले देती यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली
किसी तरह नीची हो जाती ये कदम्ब की डाली
तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आता
उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाता
वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता
अम्मा-अम्मा कह बंसी के स्वर में तुम्हें बुलाता
सुन मेरी बंसी को माँ तुम इतनी खुश हो जाती
मुझे देखने काम छोड़ तुम बाहर तक आती
तुमको आता देख बांसुरी रख मैं चुप हो जाता
पत्तो में छिपकर धीरे से फिर बांसुरी बाजाता
घुस्से होकर मुझे डाटती कहती नीचे आजा
पर जब मैं न उतरता हंसकर कहती मुन्ना राजा
नीचे उतरो मेरे भईया तुम्हे मिठाई दूँगी
नए खिलोने माखन मिसरी दूध मलाई दूँगी
मैं हंस कर सबसे ऊपर टहनी पर चढ़ जाता
एक बार ‘माँ’ कह पत्तों मैं वहीँ कहीं छिप जाता
बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आता
माँ, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जाता
तुम आँचल फैला कर अम्मा वहीं पेड़ के नीचे
ईश्वर से कुछ विनती करती बैठी आँखें मीचे
तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं धीरे-धीरे आता
और तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जाता
तुम घबरा कर आँख खोलतीं, पर माँ खुश हो जाती
जब अपने मुन्ना राजा को गोदी में ही पातीं
इसी तरह कुछ खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे
यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे

बाकि मिले पे। 

- बाबा सुतनखु 

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