...गुजर गया जमाना तुझे भुलाये हुए/फिराक गोरखपुरी - Kashi Patrika

...गुजर गया जमाना तुझे भुलाये हुए/फिराक गोरखपुरी

न जाने अश्क से आँखों में क्यों है आये हुए
गुजर गया जमाना तुझे भुलाये हुए

जो मंजिलें हैं तो बस रहरवान-ए-इश्क की हैं
वो साँस उखड़ी हुई पाँव डगमगाये हुए

न रहजनों से रुके रास्ते मोहब्बत के
वो काफिले नजर आये लुटे लुटाये हुए

अब इस के बाद मुझे कुछ खबर नहीं उन की
गम आशना हुए अपने हुए पराये हुए

ये इज़्तिराब सा क्या है कि मुद्दतें गुजरी
तुझे भुलाये हुए तेरी याद आये हुए।

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