सप्ताहांत - Kashi Patrika

सप्ताहांत


हफ्ते भर की खबरों का लेखा-जोखा।।

आम जन के चश्मे से देखें, तो यह पूरा हफ्ता भी कर्नाटक के पल-पल बदलते “नाटक” में डूबता-उतरता रहा। सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद गेंद फिर से विपक्ष के पाले में जाती दिखती है, लेकिन तस्वीर शाम को “शक्ति परीक्षण” के बाद ही साफ होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (शनिवार) जम्मू-कश्मीर पहुंचेंगे, इससे ठीक पहले सीमा पर सीजफायर का उल्लंघन कर पाक ने एकबार फिर जहां अपने "बेपाक" इरादे जाहिर किए, वहीं अमेरिका के एक स्कूल में गोलीबारी की घटना ने सोचने पर मजबूर किया कि किस कदर देश-दुनिया में दहशतगर्दी को बोलबाला बढ़ रहा है।
बीते मंगलवार को वाराणसी में फ्लाई ओवर गिरने की घटना ने फिर एक बार शासन-प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया, तो पश्चिम बंगाल में हिंसा के बीच टीएमसी ने ग्राम पंचायत चुनाव में अपना दबदबा कायम रखा। इन सबके बीच उलझे लोगों का ध्यान पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत की ओर नहीँ गया, जिसका सीधा असर आने वाले समय में वस्तुओं की कीमतों पर पड़ने वाला है। 

लोक का मजाक बनाता “तंत्र”
कर्नाटक चुनाव प्रचार से लेकर सत्ता में आने तक की जद्दोजहद में लगे सियासतदार कदम-दर-कदम लोकतंत्र की मूल आत्मा यानी लोक का मजाक बनाते दिखाई पड़े। बात चाहे किसी दल या व्यक्ति की हो पूरी प्रक्रिया में सिफर सिर्फ "लोकतंत्र" ने किया। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से कर्नाटक के ताजा गुणा-गणित को थोड़ी देर के लिए उलट-पुलटकर रख दिया है और राजनीतिक मर्यादाओं को संभालने का प्रयास किया है। येदियुरप्पा राजभवन के सहयोग से मुहूर्त के अनुरूप नियत समय पर शपथ लेने में फिलहाल भले सफल हो गए हों, बदले हालात से उपजी कुछ शंकाएं मुहूर्त के फलाफल पर भारी पड़ सकती हैं, तो बहुमत साबित करने का मौका एक बार फिर कांग्रेस के करीब आ गया है। उल्टी गिनती अब शुरू हो चुकी है। अलग-अलग ठिकानों पर सुरक्षित रखे गए विधायक नए भरोसे के साथ लौटने को हैं। जनता भी सांस थामे 4 बजने और नतीजों के सामने आने का बेसब्री से इंतजार कर रही है।
इसी तरह, पश्चिम बंगाल में ग्राम पंचायत चुनाव में मतदान से लेकर वोटों की गिनती तक के दौरान हिंसक घटनाओं ने लोकतंत्र के नुमाइंदों को कठघरे में खड़ा किया। हालांकि, एक बार फिर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला और सभी पाक-साफ हो गए और चुनाव परिणाम में टीएमसी का दबदबा कायम रहा। दोनों घटनाओं में लोकतंत्र का बदलता चेहरा सामने रखा, जो लोक की अनदेखी करता जान पड़ता है।


हादसों का इंतजार क्यों?
“सावधानी हटी, दुर्घटना घटी” यह वाक्य भले ही सटीक हो, मगर देश में हो रहे निर्माणकार्यों के दौरान इसका पालन नहीँ किया जाता है। इसका जीवंत उदाहरण वाराणसी में हुई ताजा दुर्घटना है। गत मंगलवार को वाराणसी में निर्माणाधीन पुल का बीम गिरने की घटना में भी असावधानी, तकनीकी पहलूओं की अनदेखी, यातायात नियमों का न्यूनतम ख्याल रखा जाना जैसी बातें सामने आ रही हैं। इन सभी बातों का ख्याल रखा गया होता, तो निश्चय ही इस हादसे से हम बच सकते थे।  अपने देश में गर्डर गिरने की घटनाएं आम हैं। हर कुछ समय के अंतराल पर एक नए हादसे के हम गवाह बनते हैं। हर बार सबक सीखने की बात भी कही जाती है, पर अनुभव यही बताता है कि हमने कोई सबक नहीं सीखा है। अकेले उत्तर प्रदेश में पिछले 10 वर्षों के भीतर करीब पांच ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। अप्रैल, 2016 में ठीक इसी तरह लखनऊ में निर्माणाधीन मेट्रो के पिलर की शटरिंग गिरने से कुछ लोग घायल हुए थे। सिंतबर, 2008 में लखनऊ-फैजाबाद कॉरिडोर पर भी एक निर्माणाधीन ओवरविज्र का हिस्सा इसी तरह गिरा था। 2012 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में बन रहा पुल भी करीब आधा दर्जन लोगों की मौत की वजह बना था। जाहिर है, निर्माण-कार्यों में बरती जाने वाली मामूली चूक कई लोगों के जीवन पर भारी पड़ती है, जबकि इनसे आसानी से बचा जा सकता था। दुर्घटनाओं से बचने का कोई बड़ा अंकगणित नहीं है। इसके लिए जरूरत है, तो बस कुछ मामूली सावधानियां बरतने की।


रमजान में “पाक”
रमजान में माफी की भारत की पहल नाकाफी रही। रमजान के महीने के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कश्मीर दौरे से पहले सुरक्षाबलों ने 'सीजफायर' का एलान था, लेकिन प्रधानमंत्री के जम्मू-कश्मीर पहुंचने के ठीक एक दिन पहले जम्मू-कश्मीर के हाजिन में आतंकियों ने सेना के गश्ती दल पर हमला बोला। वहीं, पाकिस्तान भी पाक महीने में नापाक हरकतों से बाज नहीं आया।  जम्मू-कश्मीर के आरएसपुरा में पाकिस्तानी फायरिंग में बीएसएफ जवान शहीद हो गए, जबकि 4 नागरिको की मौत हो गई और 6 लोगों के घायल होने की खबर है। भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 2003 में संघर्ष विराम समझौता हुआ था, जिसका लगातार उल्लंघन होता रहा है।


अमेरिका में गोलीबारी, क्यूबा में मौत
क्यूबा की राजधानी हवाना के पास एक बड़े विमान हादसे में सौ से ज्यादा लोगों की मौत की खबर है। वहीँ, अमेरिका में एक बार फिर गोलीबारी की घटना सामने आई है। टेक्सास के एक हाईस्कूल में हुए हमले में 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 अन्य घायल हो गए। वहां की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस घटना में हताहत होने वालों में अधिकांश छात्र शामिल हैं। पुलिस ने इस मामले में स्कूल के ही एक छात्र को हिरासत में लिया है, जिससे पूछताछ की जा रही है। टेक्सास की यह घटना अमेरिका में इस साल हुई गोलीबारी की 22वीं घटना है। इस साल फरवरी में अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य के एक स्कूल में हुई गोलीबारी की घटना काफी चर्चा में रही थी। इसमें कम से कम 17 लोगों की मौत हुई थी।

चुपके से महंगाई की दस्तक
कर्नाटक चुनाव की प्रक्रिया खत्म होने के बाद सोमवार को तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दामों में एक बार फिर से बढ़ोतरी कर दी। जबकि महज उन्नीस दिन पहले जब पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि की गई थी। तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर वस्तुओं के दाम पर पड़ता है। इसलिए अगर थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति की दर अप्रैल में पिछले चार महीने में उच्चतम स्तर पर बढ़ कर 3.18 फीसद हो गई और खुदरा मुद्रास्फीति की दर 4.58 फीसद पर पहुंच गई, तो महंगाई बढ़ना स्वाभाविक ही है। चूंकि बाजार में मौजूद लगभग सभी वस्तुओं की ढुलाई परिवहन पर निर्भर होती है, इसलिए डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर बहुत सारी चीजों की मूल्य वृद्धि के रूप में सामने आता है।
जीएसटी लागू किया गया था, तब दावा किया गया था कि देश भर में जरूरत के सामान की कीमतों में एकरूपता आएगी और उनमें कमी आएगी। लेकिन यह दावा सही साबित नहीं हुआ। पिछले कुछ समय से लगातार बाजार में खासतौर पर खाने-पीने की वस्तुओं के दाम में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई। अन्य खबरों के बीच बढ़ती महंगाई का सवाल गौण रह गया, जो आने वाले समय में आम जन की मुसीबत बढ़ाने वाला है।

शहरों में बढ़ती आबादी
टाइम्स ऑफ इंडिया ने संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि साल 2035 तक दिल्ली, दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला राजधानी क्षेत्र बन जाएगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साल 2050 तक भारत की आधी से ज्यादा आबादी शहरी इलाको में रहने लगेगी। अनुमान है कि केरल का कोझीकोड़ और कर्नाटक का बेंगलुरू शहर आबादी घनत्व में दक्षिण भारत के सबसे बड़े शहर हो जाएंगे, जबकि पश्चिम भारत में गुजरात का सूरत शहर पुणे से आगे निकलकर, आठवां सबसे बड़ा शहर बन जाएगा। ऐसे में, शहरों में बढ़ती आबादी से सुविधाओं में कमी तो आएगी ही रोजगार के अवसर भी घटेंगे।
कुल मिलाकर, कर्नाटक चुनाव पूरे सप्ताह खबरों में छाया रहा, जिसके बीच वाराणसी में हुई दुर्घटना ने लोगों को कुछ पल को झंकझोरा जरूर, पर जिंदगी फिर उसी रफ्तार से चल पड़ी।
अंततः कैफी आजमी की पंक्तियां, “इंसाँ की ख्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं, दो गज जमीं भी चाहिए दो गज कफन के बाद...”
- सोनी सिंह

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