रामदरबार में हनुमानजी महाराज राम की सेवा में इतने तन्मय हो गए कि ऋषि विश्वामित्र के आने का उनको ध्यान ही नहीं रहा। सबने उठकर उनका अभिवादन
किया, पर हनुमानजी नहीं कर पाए।
विश्वामित्र जी ने अपमान से क्रोधित हो राम से हनुमान के लिए मृत्युदंड मांगा, वह भी राम के अमोघ बाण से जो अचूक शस्त्र था।राम ने कहा स्वीकार है। दरबार में राम ने घोषणा की कि कल संध्याकाल में सरयू नदी के तट पर, हनुमानजी को मैं स्वयं अपने अमोघ बाण से मृत्यु दण्ड दूंगा।
हनुमानजी के घर पहुंचने पर माता अंजनी ने हनुमान से उदासी का कारण पूछा तो हनुमान ने अनजाने में हुई अपनी गलती और अन्य सारा घटनाक्रम बताया।
माता अंजनी को मालूम था कि, समस्त ब्रम्हाण्ड में हनुमान को कोई मार नहीं सकता और राम के अमोघ बाण से भी कोई बच नहीं सकता l
माता अंजनी ने कहा- "मैंने भगवान शंकर से, "राम नाम" मंत्र प्राप्त किया था और तुम्हें यह नाम घुटी में पिलाया है। उस राम नाम के होते कोई तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर सकता। चाहे वे स्वयं राम ही क्यों न हों। राम नाम की शक्ति के सामने खुद राम की शक्ति और राम के अमोघ शक्तिबाण की शक्तियां महत्वहीन हो जाएंगी। जाओ मेरे लाल, अभी से सरयू नदी के तट पर जाकर राम नाम का उच्चारण आरंभ कर दो।" माता का आशीष लेकर हनुमान सरयु तट पर पहुंचकर राम राम राम राम रटने लगे।
शाम को सरयु तट पर सारा राम दरबार एकत्रित हो गया। राम ने हनुमान पर अमोघ बाण चलाया, किंतु कोई असर नहीं हुआ। राम ने बार-बार रामबाण, अपने महान शक्तिधारी, अमोघशक्ति बाण चलाये पर हनुमानजी के उपर उनका कोई असर नहीं हुआ, तो ऋषि विश्वामित्रजी ने शंका बताई कि, "राम तुम अपनी पूर्ण निष्ठा से बाणों का प्रयोग कर रहे हो?"
राम ने कहा- "हां, गुरुवर।"
"तो तुम्हारे बाण अपना कार्य क्यों नहीं कर रहे हैं?"
तब राम ने कहा- "गुरुदेव, हनुमान राम राम राम की अंखण्ड रट लगाए हुए है। मेरी शक्तियों का अस्तित्व राम नाम के प्रताप के समक्ष महत्वहीन हो रहा है। आप ही बताएं गुरु देव ! मैं क्या करूं?"
गुरु देव बोले- "हे राम ! आज से मैं तुम्हारा साथ, तुम्हारा दरबार, त्याग कर अपने आश्रम जा रहा हूं। वहां मैं राम नाम का जप करुंगा। हे राम ! मैं जानकर, मानकर, यह घोषणा करता हूं कि स्वयं राम से, राम का नाम बड़ा है। महा अमोघशक्ति का सागर है और सारे मंत्रों की शक्तियां राम नाम के समक्ष न्यूनतर हैं। जो कोई राम नाम जपेगा, लिखेगा, मनन करेगा, उसकी समस्त अभिलाषाएं पूरी होंगी। "तभी से राम से बड़ा राम का नाम माना जाता है। इस चौपाई में राम नाम की महिमा का सुंदर वर्णन मिलता है, "उल्टा नाम जपत जग जाना, बाल्मिकी भए ब्रह्म समाना।"
ऊं तत्सत
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