खुश हो जाइए कि प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आ रहे हैं। खास बात यह है कि इंद्रदेव भले वारणसी वासियों से इन दिनों कुछ रूठे हुए हैं और गंगा मइया पानी के लिए तरसा रही है, लेकिन सांसद महोदय सौगातों की इतनी बारिश करने वाले हैं कि पूरी नगरी धन्य हो जाएगी।
अब सांसद खास हैं, तो उनके स्वागत की तैयारियां भी खास ही होगी, इसलिए शहर से दूर राजातालाब वॉटर प्रूफ पंडाल, मंच और हेलिपैड बनाने में सैकड़ों मजदूर दिन-रात जुटे हैं। सुरक्षा भी चाक-चौबंद होगी, सो तकरीबन 25 स्कूलों में सुरक्षाबलों के ठहरने का इंतजाम होगा और स्कूलों को बंद रखा जाएगा। खुद सूबे के सीएम ने इंतजाम का जायजा लिया। इतना ही नहीं, खबरों के मुताबिक पीएम की रैली के लिए निमंत्रण कार्ड घर-घर पहुँचाया जा रहा है। निमंत्रण कार्ड के दोनों तरफ वाराणसी में 30 हजार करोड़ के खर्च से हो रहे विकास कार्यों का ब्यौरा और उन परियोजनाओं का उल्लेख होगा, जिनका प्रधानमंत्री शुरुआत करेंगे।
पीएम अपने संसदीय क्षेत्र को संबोधित ही नहीं करेंगे, बल्कि वे करीब 937 करोड़ रूपए की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण कर वाराणसी की जनता को सौगात देंगे। इसी के साथ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और डीजल रेल इंजन कारखाना (डीरेका) के पांच हजार घरों में पाइप्ड नैचरल गैस (पीएनजी) पहुंचने लगेगी, इससे गैस आधारित मोक्ष धाम, सूबे की पहली डिजिटल मर्च्युरी और दो सीएनजी स्टेशन भी चालू हो जाएंगे...पीएम मोदी जापान के सहयोग से बनने वाले कन्वेंशन सेंटर रुद्राक्ष, मल्टिलेवल पार्किंग, नमामि गंगे के तहत 26 घाटों का जीर्णोद्धार, स्मार्ट सिटी के तहत आठ चौराहों के विकास, कान्हा उपवन का निर्माण, प्रमुख घाटों के सौंदर्यीकरण तथा पर्यटन विकास से जुड़ी परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे...आदि आदि।
कुल मिलाकर, एक बार फिर वाराणसी पर सौगातों की बरसात होगी और वाराणसी के जरिए उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति साधने की कोशिश। योजनाओं की बरसात तो पहले भी हुईं। ये बात और है कुछ कागजों तक रह गईं। “नमामि गंगे” के बारे में सरकार स्वयं बताने में असमर्थ है। सफाई का हाल यह है कि भाजपा अध्यक्ष वाराणसी आए तो गन्दगी देखकर खींज गए। युवा 2014 में भी बेरोजगार थे, आज भी खाली हैं। ये जरूर हुआ कि इस बीच करीब 12 बार पीएम वाराणसी आ चुके हैं।
बहरहाल, विशेष यह है कि योजनाओं का हाल जानने के लिए ‛निमंत्रण कार्ड’ पलट लें, जिसमें सब छपा है या ‘मेरी काशी’ पुस्तिका देख लीजिए जो विकास मॉडल का दस्तावेज होगी। वाराणसी वासियों को शहर और गंगा मइया की स्थिति में सुधार न दिखे, तो पुस्तिका भी समझ न आए, तो कृपा कर आँखें मुद कर देखें, हो सकता है विकास ज्यादा स्पष्ट दिखाई दे।
क्योंकि, ““मूँदहु आँख कतहुँ कछु नाहीं – – !”
■ संपादकीय
अब सांसद खास हैं, तो उनके स्वागत की तैयारियां भी खास ही होगी, इसलिए शहर से दूर राजातालाब वॉटर प्रूफ पंडाल, मंच और हेलिपैड बनाने में सैकड़ों मजदूर दिन-रात जुटे हैं। सुरक्षा भी चाक-चौबंद होगी, सो तकरीबन 25 स्कूलों में सुरक्षाबलों के ठहरने का इंतजाम होगा और स्कूलों को बंद रखा जाएगा। खुद सूबे के सीएम ने इंतजाम का जायजा लिया। इतना ही नहीं, खबरों के मुताबिक पीएम की रैली के लिए निमंत्रण कार्ड घर-घर पहुँचाया जा रहा है। निमंत्रण कार्ड के दोनों तरफ वाराणसी में 30 हजार करोड़ के खर्च से हो रहे विकास कार्यों का ब्यौरा और उन परियोजनाओं का उल्लेख होगा, जिनका प्रधानमंत्री शुरुआत करेंगे।
पीएम अपने संसदीय क्षेत्र को संबोधित ही नहीं करेंगे, बल्कि वे करीब 937 करोड़ रूपए की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण कर वाराणसी की जनता को सौगात देंगे। इसी के साथ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और डीजल रेल इंजन कारखाना (डीरेका) के पांच हजार घरों में पाइप्ड नैचरल गैस (पीएनजी) पहुंचने लगेगी, इससे गैस आधारित मोक्ष धाम, सूबे की पहली डिजिटल मर्च्युरी और दो सीएनजी स्टेशन भी चालू हो जाएंगे...पीएम मोदी जापान के सहयोग से बनने वाले कन्वेंशन सेंटर रुद्राक्ष, मल्टिलेवल पार्किंग, नमामि गंगे के तहत 26 घाटों का जीर्णोद्धार, स्मार्ट सिटी के तहत आठ चौराहों के विकास, कान्हा उपवन का निर्माण, प्रमुख घाटों के सौंदर्यीकरण तथा पर्यटन विकास से जुड़ी परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे...आदि आदि।
कुल मिलाकर, एक बार फिर वाराणसी पर सौगातों की बरसात होगी और वाराणसी के जरिए उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति साधने की कोशिश। योजनाओं की बरसात तो पहले भी हुईं। ये बात और है कुछ कागजों तक रह गईं। “नमामि गंगे” के बारे में सरकार स्वयं बताने में असमर्थ है। सफाई का हाल यह है कि भाजपा अध्यक्ष वाराणसी आए तो गन्दगी देखकर खींज गए। युवा 2014 में भी बेरोजगार थे, आज भी खाली हैं। ये जरूर हुआ कि इस बीच करीब 12 बार पीएम वाराणसी आ चुके हैं।
बहरहाल, विशेष यह है कि योजनाओं का हाल जानने के लिए ‛निमंत्रण कार्ड’ पलट लें, जिसमें सब छपा है या ‘मेरी काशी’ पुस्तिका देख लीजिए जो विकास मॉडल का दस्तावेज होगी। वाराणसी वासियों को शहर और गंगा मइया की स्थिति में सुधार न दिखे, तो पुस्तिका भी समझ न आए, तो कृपा कर आँखें मुद कर देखें, हो सकता है विकास ज्यादा स्पष्ट दिखाई दे।
क्योंकि, ““मूँदहु आँख कतहुँ कछु नाहीं – – !”
■ संपादकीय
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