अब तक का सबसे महंगा तीर्थ आयोजन होने का अनुमान॥
लोकसभा चुनाव जब करीब हो तो, जनता को लुभाने की कोशिश में राजनीतिक दल की आस्था सिर्फ बड़ी ही नहीं, कीमती भी हो जाती है। इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 में इलाहाबाद में लगने वाले कुंभ मेले का अनुमानित बजट करीब 4200 करोड़ रुपये का रखा गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से आधा खर्च वहन करने को कहा है। यह अब तक का सबसे महंगा तीर्थ आयोजन होगा। इससे पहले वर्ष 2013 के अंतिम पूर्ण कुंभ मेले में 2019 के अनुमानित राशि की एक तिहाई से भी कम खर्च हुई थी।
केंद्र उठाएगा आधा खर्च
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने कहा कि वर्ष 2019 में आयोजित होने वाले कुंभ मेले के लिए 4,236 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का एक खाका तैयार किया गया है। राज्य सरकार ने इसके लिए 2000 करोड़ रुपये जारी भी कर दिए हैं। साथ ही 2200 करोड़ रुपये जारी करने लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है। इसमें से केंद्र ने 1200 करोड़ रुपये की सहायता को मंजूरी दे दी है, जबकि 2200 करोड़ की कुल मांग पर विचार किया जा रहा है।
2013 में खर्च हुआ था 1300 करोड़
वर्ष 2013 में कुंभ मेले को लेकर करीब 1300 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। उस समय केंद्र की यूपीए सरकार ने 1017 करोड़ रूपये राज्य को दिए थे।
चमक जाएगा इलाहाबाद
4236 करोड़ रुपये के कुल बजट में से 3000 करोड़ रुपये स्थानीय परियोजनाओं और इलाहाबाद शहर के विकास पर खर्च किए जाएंगे। शेष मेला क्षेत्र के लिए खर्च होगा। सरकार द्वारा तैयार किए गए खाका के अनुसार, 3019 रुपये का इस्तेमाल इलाहाबाद में स्थायी परियोजनाओं के लिए होगा। इसके लिए नीति आयोग के पास एक रिपोर्ट जमा कर दी गई है, ताकि केंद्र से पैसा मिल सके। इसके साथ ही कुंभ मेले में आने के लिए केंद्र सरकार 192 देशों प्रतिनिधियों और देश के छह लाख गांव के लोगों को बुलाने की तैयारी में है।
कुल मिलाकर, महाकुंभ के बहाने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार आगामी 2019 चुनाव में अपनी सियासी रोटियां सेंकने की जुगत में दिख रही है। कई विकास कार्य जहां रुपयों की कमी के कारण रुके हैं, वहीं भारी-भरकम खर्च से आयोजित तीर्थ से इंसानियत का कितना भला होगा, ये समझ राजनीति के पास न है, न होगी।
लोकसभा चुनाव जब करीब हो तो, जनता को लुभाने की कोशिश में राजनीतिक दल की आस्था सिर्फ बड़ी ही नहीं, कीमती भी हो जाती है। इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 में इलाहाबाद में लगने वाले कुंभ मेले का अनुमानित बजट करीब 4200 करोड़ रुपये का रखा गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से आधा खर्च वहन करने को कहा है। यह अब तक का सबसे महंगा तीर्थ आयोजन होगा। इससे पहले वर्ष 2013 के अंतिम पूर्ण कुंभ मेले में 2019 के अनुमानित राशि की एक तिहाई से भी कम खर्च हुई थी।
केंद्र उठाएगा आधा खर्च
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने कहा कि वर्ष 2019 में आयोजित होने वाले कुंभ मेले के लिए 4,236 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का एक खाका तैयार किया गया है। राज्य सरकार ने इसके लिए 2000 करोड़ रुपये जारी भी कर दिए हैं। साथ ही 2200 करोड़ रुपये जारी करने लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है। इसमें से केंद्र ने 1200 करोड़ रुपये की सहायता को मंजूरी दे दी है, जबकि 2200 करोड़ की कुल मांग पर विचार किया जा रहा है।
2013 में खर्च हुआ था 1300 करोड़
वर्ष 2013 में कुंभ मेले को लेकर करीब 1300 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। उस समय केंद्र की यूपीए सरकार ने 1017 करोड़ रूपये राज्य को दिए थे।
चमक जाएगा इलाहाबाद
4236 करोड़ रुपये के कुल बजट में से 3000 करोड़ रुपये स्थानीय परियोजनाओं और इलाहाबाद शहर के विकास पर खर्च किए जाएंगे। शेष मेला क्षेत्र के लिए खर्च होगा। सरकार द्वारा तैयार किए गए खाका के अनुसार, 3019 रुपये का इस्तेमाल इलाहाबाद में स्थायी परियोजनाओं के लिए होगा। इसके लिए नीति आयोग के पास एक रिपोर्ट जमा कर दी गई है, ताकि केंद्र से पैसा मिल सके। इसके साथ ही कुंभ मेले में आने के लिए केंद्र सरकार 192 देशों प्रतिनिधियों और देश के छह लाख गांव के लोगों को बुलाने की तैयारी में है।
कुल मिलाकर, महाकुंभ के बहाने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार आगामी 2019 चुनाव में अपनी सियासी रोटियां सेंकने की जुगत में दिख रही है। कई विकास कार्य जहां रुपयों की कमी के कारण रुके हैं, वहीं भारी-भरकम खर्च से आयोजित तीर्थ से इंसानियत का कितना भला होगा, ये समझ राजनीति के पास न है, न होगी।
■ काशी पत्रिका
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