“गज और ग्राह लड़त जल भीतर, लड़त-लड़त गज हारायण।
तिल भर सूंड रही जल ऊपर, तब हरिनाम उच्चारायण।।
गज की टेर सुनी रघुनन्दन, गरुण छोड़ पग धारायण।
चक्र सुदर्शन ग्राह सर काट्यो, गज के पंद छूरायाण।।”
एक समय गज और ग्राह पानी के भीतर लड़े थे। तब गजराज ने प्रभु का स्मरण किया तो भक्त की करुणा भरी पुकार सुनकर प्रभु ने उसकी रक्षा की थी।
अकबर एक मुस्लिम शासक थे, परंतु वह समान रूप से सभी धर्मों को सम्मान करते थे। वे भगवान के बारे में अधिक जानने के लिए उत्सुक रहते थे। एक दिन उन्होंने बीरबल से पूछा, “क्या यह सच है कि हिंदू पौराणिक कथाओं में देवताओं में से एक देवता ने हाथी को बचाया था, जिसने मदद के लिए उनसे प्रार्थना की थी?”
बीरबल ने कहा, “जी महाराज! हाथियों का राजा गजेन्द्र जब एक मगरमच्छ द्वारा पकड़ लिया गया था, जो उसे मारना चाहता था, तब उसने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने प्रार्थना सुन ली और वे गजेन्द्र को बचाने के लिए आये थे।” अकबर ने कहा, “गजेन्द्र की रक्षा के लिए भगवान खुद क्यों आये। वह अपने सेवकों को भी भेज सकते थे। उनके पास तो कई सारे सेवक होंगे?” बीरबल ने कहा, “मैं कुछ ही दिनों में इस सवाल का जवाब दे दूंगा।”
राजकुमार अक्सर अपने एक सेवक के साथ शाम को सैर के लिए जाते थे। बीरबल ने चतुराई से उस सेवक से दोस्ती कर ली और उसे किसी को भी बताने के लिए मना किया वे दोस्त थे। फिर वह मोम का एक पुतला लेकर आया, जो बिल्कुल राजकुमार की तरह दिखता था। एक शाम जब राजकुमार सो रहा था, जब बीरबल ने राजकुमार के बजाय सैर के लिए पुतले को ले जाने को सेवक से कहा। सेवक ने वैस ही किया, जैसा बीरबल ने कहा था। थोड़ी देर बाद वह सेवक अकबर के पास दौड़ते हुए आया और बोला, “जहांपनाह! जल्दी चलिए, राजकुमार तालाब में गिर गए हैं। वह तैरना नहीं जानते हैं।”
अकबर ने यह सुना तो वह अपने सिंहासन से जोर से उछले और तालाब की ओर भागे। जब वह तालाब पर पहुंचे, तो राजकुमार को बचाने के लिए उसमें कूद गये। अकबर को बहुत राहत मिली, जब उन्हें तालाब में राजकुमार के बजाय राजकुमार की तरह दिखने वाला मोम का एक पुतला मिला। बीरबल बादशाह का पानी से बाहर आने के लिए इंतजार कर रहे थे। अकबर ने नाराज होकर बीरबल से पूछा, “यह किस तरह का मजाक है?”बीरबल ने कहा, “जहांपनाह! आप खुद क्यों इस तालाब में कूदे? आप राजकुमार को बचाने के लिए सेवक को भी भेज सकते थे। आप के पास तो बहुत सारे सेवक हैं, क्या ऐसा नहीं है?”
अकबर को वह सवाल याद आ गया, जो उन्होंने बीरबल से भगवान के लिए पूछा था। बीरबल ने आगे कहा, “जिस तरह आप अपने पुत्र से प्रेम करते हैं, उसी तरह भगवान भी अपने भक्तों से प्रेम करते हैं। इस प्रेम के कारण ही वह खुद उनकी रक्षा करने आ जाते हैं। आप ने उस दिन पूछा था कि गजेन्द्र को मगरमच्छ से बचाने के लिए भगवान विष्णु खुद क्यों आये थे। अब आपके पास जवाब है।” अकबर ने कहा, “इससे बेहतर मुझे कोई और नहीं समझा सकता था। अब मैं समझ गया।”
ऊं तत्सत...
तिल भर सूंड रही जल ऊपर, तब हरिनाम उच्चारायण।।
गज की टेर सुनी रघुनन्दन, गरुण छोड़ पग धारायण।
चक्र सुदर्शन ग्राह सर काट्यो, गज के पंद छूरायाण।।”
एक समय गज और ग्राह पानी के भीतर लड़े थे। तब गजराज ने प्रभु का स्मरण किया तो भक्त की करुणा भरी पुकार सुनकर प्रभु ने उसकी रक्षा की थी।
अकबर एक मुस्लिम शासक थे, परंतु वह समान रूप से सभी धर्मों को सम्मान करते थे। वे भगवान के बारे में अधिक जानने के लिए उत्सुक रहते थे। एक दिन उन्होंने बीरबल से पूछा, “क्या यह सच है कि हिंदू पौराणिक कथाओं में देवताओं में से एक देवता ने हाथी को बचाया था, जिसने मदद के लिए उनसे प्रार्थना की थी?”
बीरबल ने कहा, “जी महाराज! हाथियों का राजा गजेन्द्र जब एक मगरमच्छ द्वारा पकड़ लिया गया था, जो उसे मारना चाहता था, तब उसने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने प्रार्थना सुन ली और वे गजेन्द्र को बचाने के लिए आये थे।” अकबर ने कहा, “गजेन्द्र की रक्षा के लिए भगवान खुद क्यों आये। वह अपने सेवकों को भी भेज सकते थे। उनके पास तो कई सारे सेवक होंगे?” बीरबल ने कहा, “मैं कुछ ही दिनों में इस सवाल का जवाब दे दूंगा।”
राजकुमार अक्सर अपने एक सेवक के साथ शाम को सैर के लिए जाते थे। बीरबल ने चतुराई से उस सेवक से दोस्ती कर ली और उसे किसी को भी बताने के लिए मना किया वे दोस्त थे। फिर वह मोम का एक पुतला लेकर आया, जो बिल्कुल राजकुमार की तरह दिखता था। एक शाम जब राजकुमार सो रहा था, जब बीरबल ने राजकुमार के बजाय सैर के लिए पुतले को ले जाने को सेवक से कहा। सेवक ने वैस ही किया, जैसा बीरबल ने कहा था। थोड़ी देर बाद वह सेवक अकबर के पास दौड़ते हुए आया और बोला, “जहांपनाह! जल्दी चलिए, राजकुमार तालाब में गिर गए हैं। वह तैरना नहीं जानते हैं।”
अकबर ने यह सुना तो वह अपने सिंहासन से जोर से उछले और तालाब की ओर भागे। जब वह तालाब पर पहुंचे, तो राजकुमार को बचाने के लिए उसमें कूद गये। अकबर को बहुत राहत मिली, जब उन्हें तालाब में राजकुमार के बजाय राजकुमार की तरह दिखने वाला मोम का एक पुतला मिला। बीरबल बादशाह का पानी से बाहर आने के लिए इंतजार कर रहे थे। अकबर ने नाराज होकर बीरबल से पूछा, “यह किस तरह का मजाक है?”बीरबल ने कहा, “जहांपनाह! आप खुद क्यों इस तालाब में कूदे? आप राजकुमार को बचाने के लिए सेवक को भी भेज सकते थे। आप के पास तो बहुत सारे सेवक हैं, क्या ऐसा नहीं है?”
अकबर को वह सवाल याद आ गया, जो उन्होंने बीरबल से भगवान के लिए पूछा था। बीरबल ने आगे कहा, “जिस तरह आप अपने पुत्र से प्रेम करते हैं, उसी तरह भगवान भी अपने भक्तों से प्रेम करते हैं। इस प्रेम के कारण ही वह खुद उनकी रक्षा करने आ जाते हैं। आप ने उस दिन पूछा था कि गजेन्द्र को मगरमच्छ से बचाने के लिए भगवान विष्णु खुद क्यों आये थे। अब आपके पास जवाब है।” अकबर ने कहा, “इससे बेहतर मुझे कोई और नहीं समझा सकता था। अब मैं समझ गया।”
ऊं तत्सत...
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