आ, सोने से पहले गा लें!
जग में प्रात पुनः आएगा,
सोया जाग नहीं पाएगा,
आँख मूँद लेने से पहले, आ, जो कुछ कहना कह डालें!
आ, सोने से पहले गा लें!
दिन में पथ पर था उजियाला,
फैली थी किरणों की माला
अब अँधियाला देश मिला है, आ, रागों का द्वीप जलालें!
आ, सोने से पहले गा लें!
काल-प्रहारा से उच्छश्रृंखल,
जीवन की लड़ियाँ विश्रृंखल,
इन्हें जोड़ने को, आ, अपने गीतों की हम गाँठ लगालें!
आ, सोने से पहले गा लें!
■ हरिवंशराय बच्चन “निशा निमन्त्रण”
No comments:
Post a Comment