एक बहुत मेहनती किसान था। कड़कती धूप में उसने और उसके परिवार के अन्य सदस्यों ने रात-दिन खेतों में काम किया। परिणामस्वरूप बहुत अच्छी फसल हुई। अपने हरेभरे खेतों को देख कर उसकी छाती खुशी से फूल रही थी, क्योंकि फसल काटने का समय आ गया था। इसी बीच उसके खेत में एक चिड़िया ने एक घौंसला बना लिया था। उसके बच्चे अभी बहुत छोटे थे।
एक दिन किसान अपने बेटे के साथ खेत पर आया और बोला, “बेटा ऐसा करो कि अपने सभी रिश्तेदारों को निमन्त्रण दो कि वो अगले शनिवार को आकर फसल काटने में हमारी सहायता करें।” ये सुनकर चिड़िया के बच्चे बहुत घबराए और माँ से कहने लगे कि हमारा क्या होगा। अभी तो हमारे पर भी पूरी तरह से उड़ने लायक नहीं हुए हैं। चिड़िया ने कहा, “तुम चिन्ता मत करो। अगले शनिवार को जब बाप-बेटे खेत पर पहुंचे, तो वहाँ कोई भी रिश्तेदार नहीं पहुँचा था। दोनों को बहुत निराशा हुई। किसान ने पुत्र से कहा कि लगता है हमारे रिश्तेदार हमसे ईर्ष्या करते हैं, इसीलिए नहीं आए। अब तुम सब मित्रों को ऐसा ही निमन्त्रण अगले हफ़्ते के लिए दे दो।
चिड़िया के बच्चे फिर परेशान हो गए, तो चिड़िया ने वही जवाब दिया, जो पहले दिया था। अगले हफ्ते भी जब दोनों बाप-बेटे खेत पर पहुँचे तो, कोई भी मित्र सहायता करने नहीं आया। अब किसान ने बेटे से कहा- देखा तुमने, जो इन्सान दूसरों का सहारा लेकर जीना चाहता है, उसका यही हाल होता है। उसे सदा निराशा ही मिलती है।
अब तुम बाजार जाओ और फसल काटने का सारा सामान ले आओ। कल से इस खेत को हम दोनों मिल कर काटेंगे। चिड़िया ने जब यह सुना तो बच्चों से कहने लगी कि चलो, अब जाने का समय आ गया है। जब इन्सान अपने बाहुबल पर अपना काम स्वयं करने की प्रतिज्ञा कर लेता है, तो फिर उसे न किसी के सहारे की जरूरत पड़ती है। और न ही उसे कोई रोक सकता है। इससे पहले कि बाप-बेटे फसल काटने आएँ, चिड़िया अपने बच्चों को लेकर एक सुरक्षित स्थान पर चली गई।
ऊं तत्सत...
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