शह और मात की बिसात बिछने लगी है। जीत के लिए समीकरण भी बनने-बिगड़ने लगे हैं और हर सियासतदार की निगाह इस वक्त दिल्ली तक पहुंच रही है। हालांकि, तय वक्त पर 2019 लोकसभा चुनाव कराए जाएं, तो भी अभी फसला आठ महीने का है, लेकिन जब सियासत में हलचल है, तो जनता जनार्दन और मीडिया इससे अछूती कैसे रहती! सो, ‛किसके हाथ लगेगी सत्ता’ यह चर्चा हर तरफ हो रही है। देश का मूड देखते हुए अलग-अलग ओपीनियन पोल के जरिए 2019 की भावी तस्वीर प्रस्तुत करने की बेचैनी मीडिया में भी है। खैर, इसे लेकर हाल-फिलहाल हुए अलग-अलग सर्वे से बीजेपी के माथे पर बल आ गया है, जबकि कांग्रेस के लिए भी कोई खुशखबरी नहीं है। हाँ, सभी सर्वे नरेंद्र मोदी के लिए जरूर सकारात्मक हैं, क्योंकि भले ही लोगों का झुकाव किसी भी पार्टी की ओर हो, लेकिन पीएम के लिए ज्यादातर लोगों की पसंद आज भी नरेंद्र मोदी हैं।
अब अनुमानित आंकड़ों की दृष्टि से देखने की कोशिश करें तो, इंडिया टुडे के मूड ऑफ नेशन सर्वे के मुताबिक पिछली बार की तरह बीजेपी को इस बार अकेले बहुमत नहीं मिलने जा रहा। 2014 में मिली 282 सीटों के मुकाबले बीजेपी को 245 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है। वहीं, कांग्रेस को 83 सीटें आ सकती हैं। सर्वे में 281 सीटों के साथ एनडीए को स्पष्ट बहुमत है, जबकि 122 सीटों के साथ यूपीए काफी पीछे है। अन्य के खाते में 140 सीटें आने की संभावना है। इस सर्वे के मुताबिक एनडीए को 36%, यूपीए को 31% और अन्य को 33% वोट मिल सकते हैं।
वहीं टाइम्स नाऊ के सर्वे के मुताबिक बीजेपी 227 सीटें और कांग्रेस 78 सीटें जीत सकती है। वहीँ, दैनिक भास्कर के मुताबिक अन्य दल 2019 में भी मिलकर लड़े, तो बीजेपी को तीन बड़े राज्यों में 74 सीटों का नुकसान हो सकता है। इन राज्यों में 2014 में बीजेपी को 121 सीटें मिली थीं।
बहरहाल, यह सिर्फ अनुमान है, क्योंकि 2019 में इन दलों में सीटों के बंटवारे पर सहमति की गुंजाइश कम और विवाद की आशंका ज्यादा है। वहीं 45 छोटे दल भी हैं, जो 78 सीटों पर गेमचेंजर हो सकते हैं क्योंकि जीत का अंतर काफी कम था। पर बीजेपी के लिए चिंता का विषय यह है कि अलग-अलग समय पर कराए गए सर्वे बीजेपी की जमीनी ताकत में कमी का इशारा कर रहे हैं। इतना ही नहीं, बीजेपी को इस साल के अंत में हो रहे विधानसभा चुनावों में भी नुकसान होता दिख रहा है। एबीपी सी वोटर के मुताबिक मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तीनों ही राज्यों में बीजेपी हार जाएगी। हालांकि, पोल कहता है कि लोग राज्य में तो परिवर्तन चाहते हैं, मगर केंद्र में वे बीजेपी को बरकरार रखना चाहते हैं।
कुल मिलाकर, बीजेपी भले केंद्र की सत्ता में फिर वापस आ जाए, लेकिन उसकी लोकप्रियता में आई गिरावट को अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह संकेत है कि विकास की पट्टी जनता की आंखों पर सी खुल रही है और जमीनी हकीकत देखते हुए बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे आम आदमी को चिन्तित कर रहे हैं। इण्डिया टुडे का सर्वे भी इसी ओर इशारा करता है। इसमें रोजगारी के मुद्दे पर पिछले सर्वे की तुलना में लोगों की चिंता पांच फीसदी बढ़ गई है। बीजेपी के लिए अब भी राहत की बात यह है कि कांग्रेस कड़ी चुनौती देती नहीं दिख रही। किंतु, यदि विपक्ष एकजुट हो गया तो यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, बंगाल जैसे राज्यों में बीजेपी के लिए गंभीर चुनौती पेश कर सकता है। हालांकि, यह सब सिर्फ अनुमान है, असली तस्वीर तो लोकसभा चुनाव 2019 हो जाने के बाद परिणाम में ही साफ होगी। तब तक अनुमानों का दौर जारी रहेगा।
■ संपादकीय
अब अनुमानित आंकड़ों की दृष्टि से देखने की कोशिश करें तो, इंडिया टुडे के मूड ऑफ नेशन सर्वे के मुताबिक पिछली बार की तरह बीजेपी को इस बार अकेले बहुमत नहीं मिलने जा रहा। 2014 में मिली 282 सीटों के मुकाबले बीजेपी को 245 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है। वहीं, कांग्रेस को 83 सीटें आ सकती हैं। सर्वे में 281 सीटों के साथ एनडीए को स्पष्ट बहुमत है, जबकि 122 सीटों के साथ यूपीए काफी पीछे है। अन्य के खाते में 140 सीटें आने की संभावना है। इस सर्वे के मुताबिक एनडीए को 36%, यूपीए को 31% और अन्य को 33% वोट मिल सकते हैं।
वहीं टाइम्स नाऊ के सर्वे के मुताबिक बीजेपी 227 सीटें और कांग्रेस 78 सीटें जीत सकती है। वहीँ, दैनिक भास्कर के मुताबिक अन्य दल 2019 में भी मिलकर लड़े, तो बीजेपी को तीन बड़े राज्यों में 74 सीटों का नुकसान हो सकता है। इन राज्यों में 2014 में बीजेपी को 121 सीटें मिली थीं।
बहरहाल, यह सिर्फ अनुमान है, क्योंकि 2019 में इन दलों में सीटों के बंटवारे पर सहमति की गुंजाइश कम और विवाद की आशंका ज्यादा है। वहीं 45 छोटे दल भी हैं, जो 78 सीटों पर गेमचेंजर हो सकते हैं क्योंकि जीत का अंतर काफी कम था। पर बीजेपी के लिए चिंता का विषय यह है कि अलग-अलग समय पर कराए गए सर्वे बीजेपी की जमीनी ताकत में कमी का इशारा कर रहे हैं। इतना ही नहीं, बीजेपी को इस साल के अंत में हो रहे विधानसभा चुनावों में भी नुकसान होता दिख रहा है। एबीपी सी वोटर के मुताबिक मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तीनों ही राज्यों में बीजेपी हार जाएगी। हालांकि, पोल कहता है कि लोग राज्य में तो परिवर्तन चाहते हैं, मगर केंद्र में वे बीजेपी को बरकरार रखना चाहते हैं।
कुल मिलाकर, बीजेपी भले केंद्र की सत्ता में फिर वापस आ जाए, लेकिन उसकी लोकप्रियता में आई गिरावट को अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह संकेत है कि विकास की पट्टी जनता की आंखों पर सी खुल रही है और जमीनी हकीकत देखते हुए बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे आम आदमी को चिन्तित कर रहे हैं। इण्डिया टुडे का सर्वे भी इसी ओर इशारा करता है। इसमें रोजगारी के मुद्दे पर पिछले सर्वे की तुलना में लोगों की चिंता पांच फीसदी बढ़ गई है। बीजेपी के लिए अब भी राहत की बात यह है कि कांग्रेस कड़ी चुनौती देती नहीं दिख रही। किंतु, यदि विपक्ष एकजुट हो गया तो यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, बंगाल जैसे राज्यों में बीजेपी के लिए गंभीर चुनौती पेश कर सकता है। हालांकि, यह सब सिर्फ अनुमान है, असली तस्वीर तो लोकसभा चुनाव 2019 हो जाने के बाद परिणाम में ही साफ होगी। तब तक अनुमानों का दौर जारी रहेगा।
■ संपादकीय
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