“लोकसभा 2019” विजय के लिए नित नए समीकरण बुने जा रहे हैं। भाजपा 2014 की विजय गाथा को दोहराने का जुगाड़ बैठा रही है, तो विपक्ष कैसे भी महागठबंधन कर भाजपा को रोकने पर लगातार माथापच्ची कर रहा है। यहीं वजह है कि राष्ट्रीय कद्दावर कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से उनकी शर्तों पर दोस्ती गांठने में गुरेज करती नहीं दिख रही है और पीएम उम्मीदवार के नाम पर विपक्षी खेमे में मौन है। उधर, भाजपा और सहयोगी भी अपनी-अपनी मोहरे बिठा रहे हैं। इन दिनों जो कुछ भी सियासी गलियारों में किया जा रहा है, बोला जा रहा है, सब केंद्र की सत्ता को लक्ष्य में रखकर चल रहा है या उसी के इर्दगिर्द घूम रहा है। और जहां जरूरत न हो चुप्पी हथियार बनता है जैसे विपक्ष में पीएम का चेहरा कौन? सवाल पर जबाव तो कई मिलते हैं, पर नाम पर सिर्फ मौन रहता है।
हालांकि, विपक्ष का मिलन उसकी मजबूरी भी है और भाजपा के विरुद्ध खड़ा होने के लिए उसकी मजबूरी भी। उधर, यह बेमेल गठबंधन भाजपा की मुश्किल बढ़ा सकता है, सो उसे फूटी आँख नहीं भा रहा। यही वजह है कि भाजपा बार-बार पीएम चेहरे का सवाल उठाती है। बहरहाल, इस गठबंधन को मद्देनजर रखते हुए भाजपा के कुशल रणनीतिकार अमित शाह मिशन 2019 की रणनीति बना रहे हैं, तभी रविवार को यूपी में उन्होंने कहा,“बुआ-भतीजा साथ मिल जाएं, राहुल भी हाथ मिला लें, तो भी भाजपा यूपी में 74 सीट जीतेगी और 2019 में दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाएगा!
भाजपा महागठबंधन को केंद्र में रखकर चल रही है। यही वजह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जून से 29 जुलाई के बीच पांच बार उत्तर प्रदेश के दौरे पर गए। हर बार उन्होंने विपक्ष की तगड़ी लानत-मलामत की। एनआरसी मुद्दे पर अमित शाह का बयान पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल के साथ देश भर के मतदाताओं को साधने का प्रयास है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा केंद्र की योजनाओं योजना के लाभान्वितों यानी करीब 22 करोड़ परिवार से सम्पर्क की रूपरेखा तैयार कर रहा है। ‛एक बूथ,20 यूथ’ के सहारे अपने क्षेत्र के लाभान्वित परिवारों से सम्पर्क साधने की तैयारी है, जिससे एक बड़ा वोट बैंक मिल सकता है।
वहीँ, राहुल गांधी 2019 में किसी भी कीमत पर भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए नि:संकोच कांग्रेस के पुराने दोस्तों पवार और मायावती से मुलाकात कर रहे हैं। उमर अब्दुल्ला का कोलकाता जाना और फिर ममता बनर्जी का दिल्ली आना, मुलाकात के दौरान लालकृष्ण आडवाणी का चरण स्पर्श! कुछ भी बेवजह नहीं। क्योंकि, राजनीति में कुछ भी अचानक नहीं होता।
■ संपादकीय
हालांकि, विपक्ष का मिलन उसकी मजबूरी भी है और भाजपा के विरुद्ध खड़ा होने के लिए उसकी मजबूरी भी। उधर, यह बेमेल गठबंधन भाजपा की मुश्किल बढ़ा सकता है, सो उसे फूटी आँख नहीं भा रहा। यही वजह है कि भाजपा बार-बार पीएम चेहरे का सवाल उठाती है। बहरहाल, इस गठबंधन को मद्देनजर रखते हुए भाजपा के कुशल रणनीतिकार अमित शाह मिशन 2019 की रणनीति बना रहे हैं, तभी रविवार को यूपी में उन्होंने कहा,“बुआ-भतीजा साथ मिल जाएं, राहुल भी हाथ मिला लें, तो भी भाजपा यूपी में 74 सीट जीतेगी और 2019 में दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाएगा!
भाजपा महागठबंधन को केंद्र में रखकर चल रही है। यही वजह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जून से 29 जुलाई के बीच पांच बार उत्तर प्रदेश के दौरे पर गए। हर बार उन्होंने विपक्ष की तगड़ी लानत-मलामत की। एनआरसी मुद्दे पर अमित शाह का बयान पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल के साथ देश भर के मतदाताओं को साधने का प्रयास है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा केंद्र की योजनाओं योजना के लाभान्वितों यानी करीब 22 करोड़ परिवार से सम्पर्क की रूपरेखा तैयार कर रहा है। ‛एक बूथ,20 यूथ’ के सहारे अपने क्षेत्र के लाभान्वित परिवारों से सम्पर्क साधने की तैयारी है, जिससे एक बड़ा वोट बैंक मिल सकता है।
वहीँ, राहुल गांधी 2019 में किसी भी कीमत पर भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए नि:संकोच कांग्रेस के पुराने दोस्तों पवार और मायावती से मुलाकात कर रहे हैं। उमर अब्दुल्ला का कोलकाता जाना और फिर ममता बनर्जी का दिल्ली आना, मुलाकात के दौरान लालकृष्ण आडवाणी का चरण स्पर्श! कुछ भी बेवजह नहीं। क्योंकि, राजनीति में कुछ भी अचानक नहीं होता।
■ संपादकीय
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