तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम.करुणानिधि का 94 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने मंगलवार शाम 6:10 बजे चेन्नई के कावेरी अस्पताल में आखिरी सांस ली। उनके निधन की खबर आते ही तमिलनाडु समेत पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। डीएमके समर्थक सड़कों पर उतर आए। इससे पहले मेडिकल बुलेटिन में करुणानिधि की तबियत और बिगड़ने की बात कही गई थी। करुणानिधि 29 जुलाई से चेन्नई के कावेरी अस्पताल के इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था। सोमवार शाम के मेडिकल बुलेटिन में उनकी हालत नाजुक होने की बात कही गई थी।
बुधवार को बंद रहेगा तमिलनाडु
तमिलनाडु में बुधवार की छुट्टी घोषित कर दी गई है। तमिलनाडु में थिएटर बंद
कर दिए गए हैं। थिएटर ऑनर एसोसिएशन के अबिरामी रामनाथन और पन्नीरसेल्वम ने इसकी पुष्टि की। अब करुणानिधि के शव को कावेरी अस्पताल से गोपालपुरम आवास ले जाया जाएगा और बुधवार सुबह राजाजी हॉल में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।
पीएम ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर करुणानिधि के निधन पर शोक जताते हुए लिखा है, “करुणानिधि को देश हमेशा याद रखेगा। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदना करुणानिधि के अनगिनत समर्थकों और परिजनों के साथ है। भारत और खासकर तमिलनाडु उनको हमेशा याद रखेगा। उनकी आत्मा को शांति मिले।”
वहीं, खबरों के मुताबिक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चेन्नई और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बुधवार सुबह चेन्नई पहुंचेंगे।
समर्थकों की भीड़ देखते हुए हाई अलर्ट
चेन्नई के कावेरी अस्पताल के बाहर भी डीएमके कार्यकर्ताओं और समर्थकों की
भीड़ एक बार फिर से एकत्रित हो गई है। अस्पताल के बाहर समर्थकों के बीच कोहराम मच हुआ है। करुणानिधि की तबियत बिगड़ने की खबर के बाद से समर्थक रो रहे हैं, जिसे देखते हुए पुलिस को भी हाई अलर्ट पर रहने को कहा गया है।
कभी चुनाव नहीं हारे
करुणानिधि को प्यार से कलाइग्नर या कलाकार कहा जाता था। तमिलनाडु को सामाजिक और आर्थिक रूप से तरक़्क़ीपसंद राज्य बनाने में उनका बड़ा योगदान रहा। लंबे समय तक करुणानिधि के नाम हर चुनाव में अपनी सीट न हारने का रिकॉर्ड भी रहा। वो पांच बार मुख्यमंत्री और 12 बार विधानसभा सदस्य रहे हैं। उन्होंने 1969 में पहली बार राज्य के सीएम का पद संभाला था, इसके बाद 2003 में आखिरी बार मुख्यमंत्री बने थे।
वे निजी तौर पर कोई चुनाव नहीं हारे।
जून में मनाया था 94वां जन्मदिन
स्टालिन संभालेंगे करुणानिधि की विरासत
एम करुणानिधि ने द्रविड़ मुनेत्र कडगम (डीएमके) की कमान पिछले 50 सालों से संभाल रखी थी और उनके बाद पार्टी की कमान किसके पास रहेगी, यह सवाल हमेशा से उठता रहा है, लेकिन 2 साल पहले उन्होंने इस सवाल पर विराम लगाते हुए अपने बेटे एमके स्टालिन को सियासी वारिस घोषित कर दिया। हालांकि अक्टूबर 2016 में भी स्टालिन को अपना वारिस घोषित करते हुए स्पष्ट किया था कि इसका यह मतलब नहीं है वे खुद संन्यास ले रहे हैं। ये घोषणा पार्टी कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश है कि पार्टी का उत्तराधिकारी मौजूद है. साथ ही अझागिरी और स्टालिन गुटों के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष पर विराम लगाने की कोशिश भी थी। इससे पहले जनवरी, 2013 में करुणानिधि ने स्टालिन को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।
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