बेबाक़ हस्तक्षेप - Kashi Patrika

बेबाक़ हस्तक्षेप



आरोप लगाना ही आज की राजनीति का आधार बनता जा रहा है। इसका संकेत २०१४ में स्पष्ट हो गया जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की और देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन कर आयी।  दोनों ही राजनीतिक दलों को जनता ने सिर माथे ही लिया और गद्दी पर बिठाया। अब जब सत्ता के साल पूरे होने को है और पार्टियाँ फिर से मैदान में उतर आयीं है, वही आरोप प्रत्यारोप की राजनीति ही देखने को मिल रही है। 

बीजेपी ने २०१४ के लोकसभा चुनाव में भी नेशनल हेरलड केस को मुद्दा बनाया था और अब २०१९ के लिए भी उसने इनकम टैक्स के गलत भुगतान को इस केस से जोड़ दिया है।  आखिर सरकार ने इन चार सालो में इस केस पर कार्यवाही की क्यों नहीं ।  अब सरकार इस केस को मुद्दा बना कर एक बार औऱ जनता से मौक़ा चाहती है। 

पार्टियों को ये बात समझनी होगी के जनता के जीवन में यह पाँच साल बहुत महत्वपूर्ण होते है। जो वादे वोट के लिए पार्टियां करती है उनको पूरा कर सकना भी उनकी ही जिम्मेदारी है। वो भी एक समय सीमा  में ही। जहाँ आम जनता को अपना हर काम समय पर करने , टैक्स का भुकतान हो चाहे के अन्य घरेलू बिल की नसीहत दी जाती है और ऐसा न करने पर उससे फाइन भी लिया जाता है।  फ़िर इन राजनीतिक दलों को भी लुभावने वादों की बस झड़ी ही नहीं लगानी चाहिए जब की वो ही रूप रेखा जनता के सम्मुख प्रस्तुत करनी चाहिए और तय सीमा में ही काम को पूरा भी करना चाहिए। 

कांग्रेस के भ्रष्टाचार की जो लिस्ट जनता को दी गयी थी इस बार जनता उसके आधार पर क्या कर्यवाही हुयी इसकी ही अपेक्षा सरकार से रखती है और सरकार उसको इसी से अवगत करवाए न के जनता को वो ही भ्रष्टाचार की लिस्ट पढ़ने को इस बार भी थमा दी जाये। प्रेस कॉन्फ्रेंस में भ्रष्टाचार को गिनवाने से अच्छा होगा के उसपर क्या कार्यवाही की गयी या इस ओर क्या योजना बनी हैयही बताया जाए। 



-अदिति-



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