देश की सियासत का स्तर किस तरह गिर रहा है ये नेताओं के दिन-प्रतिदिन दिए जा रहे बयानों से समझना मुश्किल नहीं है। लेकिन बयानबाजी का यह सिलसिला सिर्फ आपसी राजनीति की बखिया उघेरने का काम ही नहीं कर रहा, बल्कि आम जन से जुड़े मुद्दों-योजनाओं को लेकर भी झूठे किस्से गढ़ने से गुरेज नहीं किया जा रहा है। उदाहरण भी ऐसे-ऐसे कि सुनकर आम लोग भौचक रह जाए। उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री उमानाथ सिंह की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में राज्य के सीएम भावनाओं में बह गए और कह दिया कि प्रदेश “राम राज्य” की ओर बढ़ रहा है। हालांकि, उन्होंने यह बात सिर्फ कही नहीं, बल्कि सोदाहरण समझाने का प्रयास भी किया। सीएम आदित्यनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार की कई योजनाओं की गति को सपा सरकार ने धीमा कर दिया था और उनमें रुचि नहीं दिखाई थी और केवल भ्रष्टाचार और लूटपाट करने में जुटी रही। जबकि, भाजपा सरकार ने समाज के अंतिम छोर पर स्थित व्यक्ति तक सरकार की सारी योजनाओं को बिना भेदभाव के पहुंचाने का लक्ष्य बनाया, वह आज पूरा हो रहा है। रामराज्य में ऐसा माना गया है कि समाज के सभी वर्गों के व्यक्ति सुखी थे और संपन्न थे। कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं था। ऐसी ही संकल्पना को लेकर आज भाजपा सरकार चल रही है।
बहरहाल, खबरों के मुताबिक यूपी के कुशीनगर जिले में एक हफ्ते के अंदर एक मां और उसके दो बच्चों की भूख और कुपोषण से मौत हो गई है। हालांकि, सरकार मौत की वजह फूड प्वॉइजनिंग बता रही है, लेकिन गांव वालों का दावा है कि तीनों मौत भूख एवं कुपोषण से हुई है। यूपी देश के सबसे ज्यादा कुपोषित राज्यों में से एक है और पहले भी यहां भूख से मौतों की ख़बरें आती रही हैं। इन मौतों पर सरकार की बात को सच मान भी लें, तो भाजपा शासित मध्य प्रदेश में आंकड़ों के मुताबिक हर रोज 92 बच्चे कुपोषण के कारण दम तोड़ देते हैं। इस सच को नकारने का भी कोई न कोई पुख्ता तर्क सियासत के पास होगा!
कुल मिलाकर, यदि जमीनी हकीकत को समझने की कोशिश किए बगैर नेतागण सिर्फ जुबानी बयानबाजी को दुरुस्त कर, कागजी खानापूर्ति पर ध्यान देते रहेंगे, तो स्थिति कभी नहीं बदलेगी। सरकारें कितनी ही बदल जाएं, पर हालात तभी सुधर सकते हैं, जब देश की सियासत उसे स्वीकार कर बदलने का प्रयास करेगी। ■ संपादकीय
बहरहाल, खबरों के मुताबिक यूपी के कुशीनगर जिले में एक हफ्ते के अंदर एक मां और उसके दो बच्चों की भूख और कुपोषण से मौत हो गई है। हालांकि, सरकार मौत की वजह फूड प्वॉइजनिंग बता रही है, लेकिन गांव वालों का दावा है कि तीनों मौत भूख एवं कुपोषण से हुई है। यूपी देश के सबसे ज्यादा कुपोषित राज्यों में से एक है और पहले भी यहां भूख से मौतों की ख़बरें आती रही हैं। इन मौतों पर सरकार की बात को सच मान भी लें, तो भाजपा शासित मध्य प्रदेश में आंकड़ों के मुताबिक हर रोज 92 बच्चे कुपोषण के कारण दम तोड़ देते हैं। इस सच को नकारने का भी कोई न कोई पुख्ता तर्क सियासत के पास होगा!
कुल मिलाकर, यदि जमीनी हकीकत को समझने की कोशिश किए बगैर नेतागण सिर्फ जुबानी बयानबाजी को दुरुस्त कर, कागजी खानापूर्ति पर ध्यान देते रहेंगे, तो स्थिति कभी नहीं बदलेगी। सरकारें कितनी ही बदल जाएं, पर हालात तभी सुधर सकते हैं, जब देश की सियासत उसे स्वीकार कर बदलने का प्रयास करेगी। ■ संपादकीय
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