जब उम्मीद का आख़िरी तिनका भी बिखर जाए
जब उम्मीद का आख़िरी तिनका भी बिखर जाए
तुम कोई नया आशिया बना लेना,
उसकी की दीवार पर मेरी
इक हँसती सी तसवीर तुम सजा देना।
ग़म जब हौसले से बाहर हो
तुम थोड़ा सा मुसकरा देना,
ख़ुशी जब ज़ब्त से ज़्यादा हो,
तुम आँसू थोड़े बहा लेना।
यूँ तो दुनियाँ में सब अकेले हैं,
तुम मूझसे मिलकर,
दुनियाँ मेरी सजा देना।
हर इक़ घूँट से नशा बढ़ने लगता है
हर इक़ घूँट में तू पास से यूँ गुज़रता है
हवा सा सर्द कोई झोंका,
कुछ बर्फ़ सी ठंडी बूँदे,
तुम्हारी यादों की धूप,
बस मौसम मेरे इतने हैं।
-अदिति -
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