काशी सत्संग: हरि बिन राखनहार ना कोई - Kashi Patrika

काशी सत्संग: हरि बिन राखनहार ना कोई


एक चींटी कितनी छोटी होती है, अगर उसके पैरों में भी घुंघरू बांध दें, तो उसकी आवाज को भी भगवान सुनते है। यदि आपको लगता है कि आपकी पुकार भगवान नहीं सुन रहे, तो ये आपका वहम है या फिर आपने भगवान के स्वभाव को नहीं जाना।
एक छोटी सी कथा संत बताते हैं- एक भगवान के भक्त हुए, उन्होंने 20 साल तक लगातार पाठ किया। अंत में भगवान ने उनकी परीक्षा लेते हुए कहा, “अरे भक्त! तू सोचता है कि मैं तेरे पाठ से खुश हूं, तो ये तेरा वहम है। मैं तेरे पाठ से बिलकुल भी प्रसन्न नहीं हुआ।” जैसे ही भक्त ने सुना तो वो नाचने लगा और झूमने लगा।
भगवान ने बोला, “अरे! मैंने कहा कि मैं तेरे पाठ करने से खुश नहीं हूं और तू नाच रहा है।” भक्त बोला, “भगवन! आप खुश हैं या नहीं ये बात मैं नही जानता। लेकिन मैं तो इसलिए खुश हूं कि आपने मेरा पाठ कम से कम सुना तो सही, इसलिए मैं नाच रहा हूं।” ये होता है भाव। थोड़ा सोचिये और विचार कीजिए, जब भी भगवान को याद करो उनका नाम जप करो, तो ये मत सोचना कि भगवान आपकी पुकार सुनते होंगे या नहीं? कोई संदेह मत करना, बस ह्रदय से उनको पुकारना, तुम्हें खुद लगेगा कि हां, भगवान आपकी पुकार को सुन रहे हैं। और आपको इसका अहसास भी होने लगेगा।
ऊं तत्सत...

No comments:

Post a Comment