काशी सत्संग: जीने की सोच बदलिए - Kashi Patrika

काशी सत्संग: जीने की सोच बदलिए


एक दिन एक किसान का बैल कुएं में गिर गया। वह बैल घंटों जोर-जोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि बैल काफी बूढ़ा हो गया है अतः उसे बचाने से कोई लाभ नहीं। किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएं में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही बैल कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है वह और जोर-जोर से रोने लगा। बैल अचानक आश्चर्यजनक रूप से शांत हो गया। तभी किसान ने कुएं में झांका, तो देखा बैल अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी को हिल-हिल कर नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था। जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे-वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एक सीढ़ी ऊपर चढ़ आता। जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह बैल कुएं के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर आ गया। 
ध्यान रखे आपके जीवन में भी बहुत तरह से मिट्टी फेंकी जाएगी। आपको आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही आपकी आलोचना करेगा। कोई आपकी सफलता से ईर्ष्या के कारण आपको बेकार में ही भला-बुरा कहेगा। सभी बाधाओं से हतोत्साहित होकर कुएं में ही पड़े रहने की बजाय आप उससे सीख लेकर, उसे सीढ़ी बनाकर, बिना अपने आदर्शों का त्याग किए, अपने कदमों को आगे बढ़ाते रहिएगा। सकारात्मक रहें.. सकारात्मक जिएं!
इस संसार में-
सबसे बड़ी संपत्ति "बुद्धि "
सबसे अच्छा हथियार "धैर्य"
सबसे अच्छी सुरक्षा "विश्वास"
सबसे बढ़िया दवा "हँसी" है
और आश्चर्य की बात कि "ये सब निशुल्क हैं।" 
ऊं तत्सत...

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