उत्तर प्रदेश के सरकारी रिकार्ड में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का नाम अब ‘भीमराव रामजी आंबेडकर’ के तौर पर दर्ज किया जाएगा। राज्य सरकार ने इस सिलसिले में शासनादेश जारी किया है। प्रमुख सचिव (सामान्य प्रशासन) जितेंद्र कुमार ने प्रदेश के सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और विभागाध्यक्षों को जारी शासनादेश में कहा है कि संविधान की आठवीं अनुसूची (अनुच्छेद 344(1) और-351) भाषाएं में अंकित नाम का संज्ञान लेते हुए शासन ने विचार के बाद उत्तर प्रदेश से संबंधित सभी दस्तावेजों में अंकित ‘डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर’ का नाम संशोधित करके ‘डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर’ करने का निर्णय लिया है।
शासनादेश में सभी अधिकारियों से अपने-अपने विभाग के अभिलेखों में अम्बेडकर का नाम संशोधित करके भीमराव रामजी आंबेडकर करने के निर्देश दिए गए हैं। शासनादेश की प्रति राज्यपाल राम नाईक के प्रमुख सचिव, सभी मंडलायुक्तों और सभी जिलाधिकारियों को भी भेजी गई है।
राज्यपाल नाईक स्वयं आंबेडकर लिखने की यह कहते हुए वकालत कर चुके हैं कि इस महापुरुष ने संविधान के दस्तावेज पर जो हस्ताक्षर किए थे, उसमें अम्बेडकर के बजाय आंबेडकर ही लिखा था। नाईक ने इस बारे में प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर महासभा को पत्र लिखकर अपनी चिंता भी जाहिर की थी।
बहरहाल, राज्य सरकार के इस कदम की विपक्ष ने तीखी आलोचना की है। सपा नेता अनुराग भदौरिया ने सरकार पर आंबेडकर के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि वह दलित मतदाताओं को लुभाने के लिए ऐसा कर रही है।
इस बीच, राज्य सरकार के प्रवक्ता स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में बाबा साहब ने इस तरह अपने हस्ताक्षर किए हैं। जो जिसका सही नाम है, उस सही नाम से ही लिखा करें। भाजपा ने बस इतना किया है। ज्ञात हो कि महाराष्ट्र में नाम के बीच में पिता का नाम लगाए जाने की परंपरा है।
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