गपशप-बाबा सुतनखु का खत - Kashi Patrika

गपशप-बाबा सुतनखु का खत

गपशप 


ओउर जने मजे में खेलत खात हउअ जा सुखि रहल करा जा बचवा लोगन इहे जिनगी बाटे। अगर कोई ढेर ऊँगली करे  ता बजावा  दुइ ठे कान के निचे और सरकत बना; माई एक ठे कहावत कहत रहलिन 

 'मार के ससरि ओउर खा के पसरी' ता बच्चा लोगन मार पिटाई का यही हिसाब किताब बाटे जे पाहिले मरलस ते बीस फिर बाद में होए देखा पंचायत कोई फर्क नाही पड़े के बा। 

कालिया पेड़ रोपले बदे कहले रहली जा, जाने एक्को काम कईला की बस मटरगस्ती में सारा समय बर्बाद करत हउअ जा। जीवन में कुच्चो करा लेकिन समय कभी वापस नाही लौटला ता ऊके मत बर्बाद करिहा जा। 

बाकि बुढ़ौती में ओर का लिखी  तोहि लोगन के देखले जिअत बानी से जब ले चलत है बोलत रहब। 

बाकि मिले पे। 

-  बाबा सुतनखु 

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