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काशी सत्संग/ईश्वर की प्रयोगशाला


जीवन में जब भी हम खराब दौर से गुजरते हैं, तब मन में यह विचार जरूर आता है कि परमात्मा मेरी परेशानी देखता क्यों नहीं है! मेरे दुःख कम क्यों नहीं करता! पर याद रखिए, जब परीक्षा चल रही होती है, तब शिक्षक मौन रहते हैं। 
“दु:ख” और “तकलीफ” भगवान की बनाई हुई वह प्रयोगशाला है, जहां आपकी काबलियत और आत्मविश्वास को परखा जाता है। 
सुलझा हुआ मनुष्य वह है, जो अपने निर्णय स्वयं करता है और उन निर्णयों के परिणाम के लिए किसी दूसरे को दोष नहीं देता। 
मनुष्य की वास्तविक पूंजी धन नहीं, बल्कि उसके विचार हैं, क्योंकि धन तो खरीदारी में दूसरों के पास चला जाता हैं, पर विचार अपने पास ही रहते हैं ! अच्छा काम करते रहिए, कोई सम्मान करे या न करे, सूर्योदय तब भी होता है, जब करोड़ों लोग सोये होते हैं। 

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