हफ्ते भर की खबरों का लेखा-जोखा।।
आम जन के चश्मे से देखें, तो इस हफ्ते सियासी उठा-पटक ने देश का माहौल गर्म बनाए रखा। कर्नाटक चुनाव ज्यों-ज्यों करीब आ रहा है राजनीतिक पारा और चढ़ता जा रहा है। शीर्ष नेताओं के बोल बन-बिगड़ रहे हैं। स्वयं प्रधानमंत्री कर्नाटक में पहुंच सीट बढ़ाने की जुगत लगा रहे हैं। उधर, 'जिन्ना' की तस्वीर को लेकर उपजे प्रपंच में अलीगढ़ विश्वविद्यालय उबल रहा है। इन सबके बीच, बुधवार शाम उठे आंधी-तूफान ने राजस्थान और यूपी में तांडव मचाया और दर्जनों जानें ले ली। मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि आगे भी तूफान कई और हिस्सों को अपनी चपेट में लेगा। इसी हफ्ते प्रदूषण को लेकर भारत की किरकिरी हुई, राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय पुरस्कार न दिए जाने से नाराज विजताओं ने सम्मान समारोह का बहिष्कार किया। भारत-चीन सहित विश्व स्तर पर कई दिग्गजों की मुलाकात हुई, जो सकारात्मक पहल रही।एएमयू में हालात और सिफर
अलीगढ़ विश्वविद्यालय के यूनियन हॉल में जिन्ना की तस्वीर लगाए जाने से उत्पन्न विवाद फिलहाल थमता नहीँ दिख रहा, राजनीतिक बयानबाजी से हालात और सिफर होने के संकेत मिल रहे हैं। इस बीच, विश्वविद्यालय प्रशासन ने 4 और 5 मई को एएमयू बंद की घोषणा की है।
अभी और तूफान...
उत्तर भारत में बुधवार शाम आए आंधी-तूफान ने भारी तबाही मचाई और दर्जनों की मौत का सबब बना। मौसम विभाग के अधिकारियों के अनुसार धूलभरी आंधी और बवंडर का खतरा अभी टला नहीं है। मौसम विभाग ने शनिवार को अगले तीन दिन (5 से 7 मई) के लिए 12 राज्यों में तेज आंधी-तूफान की आशंका जताई है। साथ ही उत्तर-पूर्व और दक्षिण के कुछ राज्यों में भारी बारिश की भी चेतावनी जारी की गई है। मौसम विभाग के मुताबिक, 5 से 7 मई तक उत्तराखंड, राजस्थान, असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम, पश्चिम बंगाल में अलग-अलग स्थानों पर आंधी-तूफान की आशंका है। इसी दौरान तमिलनाडु, केरल, असम, मेघालय और त्रिपुरा के हिस्सों में भारी बारिश भी हो सकती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस मौसम में तूफान और आंधी चलना सामान्य घटना है, वायुमंडल में इसके हालात बने हैं।
कर्नाटक की जंग
कर्नाटक की सत्ता पर फिलहाल कांग्रेस काबिज है और उनके मुख्यमंत्री सिद्धरमैया जहां अपनी सरकार को बचाने के लिए एड़ीचोटी का जोड़ लगा रहे हैं, वहीँ बीजेपी अपनी विजय पताका फहराने की कवायद में है। राजनीतिक हलकों में कर्नाटक चुनाव को लेकर खासी सरगर्मियां देखी जा रही हैं। विशेषज्ञों की राय में बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के बीच मुख्य मुकाबला है और त्रिशंकु विधानसभा की तस्वीर उभर रही है। हालांकि, अनुमान लगता जा रहा है कि मुस्लिम मतदाता तस्वीर बदल भी सकते हैं। एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस 'किंगमेकर' की भूमिका निभाएगी।
कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर यहां कई अहम मुद्दे गर्माये हुए हैं, लिंगायत, हिंदी भाषा, स्थानीय भाषा, जल विवाद,मठों को लेकर राजनीति, कन्नड़ अस्मिता, कृषि संकट, भ्रष्टाचार। फिलहाल सभी दल जनता को लुभाने की जोड़तोड़ में जुटे हैं, ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो चुनाव के बाद ही स्पष्ट होगा।
भारत-चीन के बीच कम हुई खटास
करीब दो दशकों तक टाल-मटोल के बाद आखिरकार चीन ने भारतीय दवाओं को अपने देश में बिकने की इजाजत दे दी है। कम कीमत के चलते पूरी दुनिया में धूम मचाने के बाद अब भारतीय दवाएं चीन के नागरिकों की सेहत भी सुधारेंगी। इन दवाओं में कैंसर की सभी दवाएं शामिल हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि ये दवाएं भारत-चीन रिश्ते का कैंसर भी मिटा देंगी! पिछले 60 साल से दोनों देशों के रिश्ते काफी उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। इसमें पिछले 20 साल की बात करें, तो भारत-चीन के बीच कारोबार तेजी के साथ बढ़ा है। 2017 में दोनों देशों ने 84.44 अरब डॉलर का कारोबार किया। हालांकि, इसमें भारत करीब 51 अरब डॉलर के कारोबरी घाटे में रहा है। चीन की ओर से भारतीय दवाओं को असान पहुंच दिए जाने से माना जा रहा है कि भारत चीन के साथ अपने करोबारी रिश्ते को बराबरी पर ला सकेगा।
हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकारों का कहना है कि चीन ने सकारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन इससे यह मान लेना जल्दबाजी होगी कि चीन सुधर गया है। क्योंकि चीन का इतिहास यही गवाही देता है। जानकर यह भी कह रहे हैं भारत उसका बड़ा ट्रेड पार्टनर है। ऐसे में, वह कारोबारी रिश्तों को बेहतर करने की कोशिश कर रहा है। उसकी कोशिश है कि भारत भले उसके साथ नहीं आए, तो भी कम से कम उसके विरोध में खड़ा न हो। कुल मिलाकर, चीन से खटास मिटने के हालात बनाने से भारत को भी काफी फौरी राहत मिल गई है।
इस तरह पूरा हफ्ता सियासी हलचल में उलझा रहा, इस बीच पुरस्कार विजेताओं द्वारा सम्मान समारोह का बहिष्कार, देश की हवा में प्रदूषण के कारण घुलता जहर, लालू प्रसाद यादव का एम्स में भर्ती रहने को लेकर किया गया राजनीतिक तमाशा और कई ऐसे मुद्दे गौण रह गए या सिर्फ अखबार की खबर बनकर रह गए।
अंततः गुलजार साहब की कुछ पंक्तियां-"तेरे-करम-तो-हैं इतने कि याद हैं अब तक, तेरे सितम हैं कुछ इतने कि हमको याद नहीं..."
-सोनी सिंह
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