अस्तित्व सिर्फ योग्यता का निर्माता है। इसने गौतम बुद्ध, जरथुस्त्र, महावीर, जीसस को बनाया। तुम हो, यह पर्याप्त है साबित करने के लिए कि अस्तित्व को तुम्हारी जरूरत है, वह तुमसे प्यार करता है, तुम्हारा पोषण करता है...
कोई भी अयोग्य नहीं है। अस्तित्व अयोग्य लोगों का उत्पादन नहीं करता है। अस्तित्व मूर्ख नहीं है। अगर अस्तित्व इतने सारे अयोग्य लोगों का उत्पादन करता है, तो पूरी जिम्मेवारी अस्तित्व को जाती है। तो यह निश्चित रूप से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अस्तित्व बुद्धिमान नहीं है, कि इसके पीछे कोई बुद्धि नहीं है, कि यह एक मूर्ख, भौतिकवादी, आकस्मिक घटना है और इसमें कोई चेतना नहीं है। यह हमारी पूरी लड़ाई है, हमारा पूरा संघर्ष है: यह साबित करना कि अस्तित्व बुद्धिमान है, कि अस्तित्व बेहद सचेत है।
यह वही अस्तित्व है, जो गौतम बुद्ध बनाता है, वह अयोग्य लोगों को नहीं बना सकता। तुम अयोग्य नहीं हो। तो कोई द्वार खोजने का सवाल ही नहीं है, केवल एक समझ चाहिए कि अयोग्यता एक झूठी धारणा है जो तुम पर थोपी गई है।
अस्तित्व तुम्हें वही सूरज देता है, जो गौतम बुद्ध को। वही चांद देता है जो जरथुस्त्र को, वही हवा जो महावीर को, वही बारिश जो जीसस को। कोई फर्क नहीं पड़ता, कोई भेद-भाव की जानकारी नहीं है। अस्तित्व के लिए, गौतम बुद्ध, जरथुस्त्र, लाओत्सु, बोधिधर्म, कबीर, नानक या तुम सब एक ही हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि गौतम बुद्ध ने अयोग्य होने के विचार को स्वीकार नहीं किया है, वह विचार खारिज कर दिया।
तो अयोग्यता का विचार छोड़ दो, यह एक विचार है। और इसे छोड़ने के साथ, तुम आकाश के नीचे हो। द्वार का कोई सवाल नहीं है, सब कुछ खुला है, सभी दिशाएं खुली हैं। कि तुम हो, यह पर्याप्त है साबित करने के लिए कि अस्तित्व को तुम्हारी जरूरत है, वह तुमसे प्यार करता है, तुम्हारा पोषण करता है, तुम्हारा सम्मान करता है।
अयोग्यता के विचार को सामाजिक परजीवी द्वारा बनाया गया है। इस विचार को गिरा दो। अस्तित्व के लिए आभारी हो, क्योंकि यह केवल योग्य लोगों को बनाता है, यह कभी उसे नहीं बनाता जो बेकार है। यह केवल उन्हीं लोगों को बनाता है जिनकी जरूरत है। मेरा जोर है कि हर संन्यासी अपना सम्मान करे और अस्तित्व के प्रति आभारी महसूस करे कि वह समय और स्थान के इस अवसर पर यहां है।
■ ओशो
कोई भी अयोग्य नहीं है। अस्तित्व अयोग्य लोगों का उत्पादन नहीं करता है। अस्तित्व मूर्ख नहीं है। अगर अस्तित्व इतने सारे अयोग्य लोगों का उत्पादन करता है, तो पूरी जिम्मेवारी अस्तित्व को जाती है। तो यह निश्चित रूप से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अस्तित्व बुद्धिमान नहीं है, कि इसके पीछे कोई बुद्धि नहीं है, कि यह एक मूर्ख, भौतिकवादी, आकस्मिक घटना है और इसमें कोई चेतना नहीं है। यह हमारी पूरी लड़ाई है, हमारा पूरा संघर्ष है: यह साबित करना कि अस्तित्व बुद्धिमान है, कि अस्तित्व बेहद सचेत है।
यह वही अस्तित्व है, जो गौतम बुद्ध बनाता है, वह अयोग्य लोगों को नहीं बना सकता। तुम अयोग्य नहीं हो। तो कोई द्वार खोजने का सवाल ही नहीं है, केवल एक समझ चाहिए कि अयोग्यता एक झूठी धारणा है जो तुम पर थोपी गई है।
अस्तित्व तुम्हें वही सूरज देता है, जो गौतम बुद्ध को। वही चांद देता है जो जरथुस्त्र को, वही हवा जो महावीर को, वही बारिश जो जीसस को। कोई फर्क नहीं पड़ता, कोई भेद-भाव की जानकारी नहीं है। अस्तित्व के लिए, गौतम बुद्ध, जरथुस्त्र, लाओत्सु, बोधिधर्म, कबीर, नानक या तुम सब एक ही हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि गौतम बुद्ध ने अयोग्य होने के विचार को स्वीकार नहीं किया है, वह विचार खारिज कर दिया।
तो अयोग्यता का विचार छोड़ दो, यह एक विचार है। और इसे छोड़ने के साथ, तुम आकाश के नीचे हो। द्वार का कोई सवाल नहीं है, सब कुछ खुला है, सभी दिशाएं खुली हैं। कि तुम हो, यह पर्याप्त है साबित करने के लिए कि अस्तित्व को तुम्हारी जरूरत है, वह तुमसे प्यार करता है, तुम्हारा पोषण करता है, तुम्हारा सम्मान करता है।
अयोग्यता के विचार को सामाजिक परजीवी द्वारा बनाया गया है। इस विचार को गिरा दो। अस्तित्व के लिए आभारी हो, क्योंकि यह केवल योग्य लोगों को बनाता है, यह कभी उसे नहीं बनाता जो बेकार है। यह केवल उन्हीं लोगों को बनाता है जिनकी जरूरत है। मेरा जोर है कि हर संन्यासी अपना सम्मान करे और अस्तित्व के प्रति आभारी महसूस करे कि वह समय और स्थान के इस अवसर पर यहां है।
■ ओशो
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