चैत्र नवरात्र- वर्तमान समय में क्या करे? - Kashi Patrika

चैत्र नवरात्र- वर्तमान समय में क्या करे?

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥

इस वर्ष चैत्र नवरात्र का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल पक्ष प्रथमा से अर्थात 25 मार्च से प्रारंभ होकर 2 अप्रैल अर्थात रामनवमी को समाप्त हो रहा हैं। इसी शुभ समय में देश में ऋतु परिवर्तित होता हैं और सम्पूर्ण वातावरण एक आध्यात्मिक ऊर्जा से गुजरता हैं। शुभ मुहूर्त में नौ दिन देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं जो सभी कष्टों का निवारण करती हैं और मंगल फल प्रदान करती हैं। 

देवी के नौ रूपों की अराधना 
वर्ष में प्रचलित दो नवरात्रों चैत्र और आश्विन में यह चैत्र नवरात्र उत्तर भारत में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता हैं। इन नौ दिनों कलश स्थापना कर देवी के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती हैं। प्रथम दिन- माँ शैलपुत्री, दूसरे दिन-माता ब्रह्राचारिणी, तीसरे दिन- माता चन्द्रघंटा, चौथे दिन- माँ कूष्माण्डा, पांचवे दिन- नाग पूजा और माँ स्कंदमाता, छठे दिन-देवी कात्यायनी, सातवें दिन- देवी कालरात्रि, अष्टमी को "दुर्गा अष्टमी" के रूप में भी मनाया जाता है और इसे "अन्नपूर्णा अष्टमी" भी कहा जाता है। इस दिन "महागौरी की पूजा" और "संधि पूजा" की जाती है। नवरात्रि उत्सव का अंतिम दिवस राम नवमी के रूप में मनाया जाता है और इस दिन माँ सिद्धिंदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है।

वर्तमान समय में क्या करे?
इस समय देश भीषण आपदा से गुजर रहा हैं। फैली महामारी से लगभग सभी राज्यों में निषेधाज्ञा लागू हैं और सार्वजानिक रूप से लोगों के इकठ्ठे होने पर रोक लगा दी गई हैं। विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण सभी मंदिरों में दर्शन पर रोक लगा दी गई हैं। तो इस स्थिति में देवी की पूजा कैसे करे?

घर पर अखंड दीप जलाये 
धार्मिक व आध्यात्मिक रूप से अग्नि को सबसे पवित्र माना गया हैं। हिन्दू धर्म में सभी शुभ कार्य अग्नि से ही पूर्ण होते हैं ऐसे में नवरात्र के शुभ अवसर पर अपने घरों में नौ दिन जलने वाला अखंड दीप जलाएं और देवी की उपासना के लिए दुर्गा सप्तसती का पाठ करे। 

प्राप्त सामग्री से देवी को भोग लगाए 
अगर किसी कारणवश कलश की स्थापना नहीं कर पा रहे हो तो इसे किसी अपशकुन के रूप में न ले। घर में प्राप्त सामग्री से ही देवी को भोग लगाए और आराधना करे। अपने स्वास्थ के अनुरूप व्रत का पालन करे और सभी के मंगल के लिए देवी से प्रार्थना करे। 

शिव भी गौरी में समाहित है 
जिस प्रकार हम शिव की आराधना हर विधान से कर सकते हैं उसी प्रकार शक्ति की पूजा भी हम निश्छल मन से हर रूप में कर सकते हैं। देवी को- माँ के रूप में देखकर, की गई हर प्रार्थना सम्पूर्ण रूप में पूरी होती हैं।  

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