नासा का पारकर प्रोब सूर्य के राज खोलने को तैयार
अगले महीने 4 अगस्त को नासा अपने प्रोब पारकर को लॉंच करेगा। ये सूर्य की कोरोना और इसके हीट वैव के कारणों का पता लगाएगा। ये अपनी तरह का पहला मिशन होगा जिसमे कोई मानव निर्मित सेटेलाईट सूर्य के इतने नजदीक जाकर हमें उसके बारे में जानकारी देगा। कुछ समय तक पहले ये संभव नहीं था क्योकि सूर्य का तापमान बहुत अधिक हैं। पर नई खोजों ने इस मिशन को कामयाब बनाया हैं।
इस प्रोब में एक ख़ास तरीके का कार्बन शील्ड लगा हैं जो इसे सूर्य की अत्यधिक गर्मी से बचाएगा। इस मिशन की ख़ास बात ये हैं कि सिर्फ तीन महीने के भीतर ही दिसंबर से सूर्य के पास पहुंचकर हमें उसकी तस्वीरें और जानकारी भेजने लगेगा।
टेस्ट ट्यूब आर्टिफीसियल न्यूरल नेटवर्क मॉलिक्युलर लिखाई को पहचानने में सक्षम बना
हाल ही में वैज्ञानिकों ने टेस्ट ट्यूब आर्टिफीसियल न्यूरल नेटवर्क का निर्माण DNA से किया हैं। इस नए प्रयोग में परिणाम क्रन्तिकारी हो सकते हैं। ये भविष्य में बनने वाली सभी वस्तुओं की मॉलिक्यूल से बनने की सम्भावना को दर्शाता हैं जिससे सभी निर्मित वस्तुए पर्यावरण की प्रति ज्यादा संवेदनशील बनेंगी। पुराने सभी कम्प्यूटर में कठिन कार्यों में लेखन को पहचानना सबसे कठिन हैं पर टेस्ट ट्यूब आर्टिफीसियल न्यूरल नेटवर्क से ये संभव हैं। अपने परीक्षण के
अगले महीने 4 अगस्त को नासा अपने प्रोब पारकर को लॉंच करेगा। ये सूर्य की कोरोना और इसके हीट वैव के कारणों का पता लगाएगा। ये अपनी तरह का पहला मिशन होगा जिसमे कोई मानव निर्मित सेटेलाईट सूर्य के इतने नजदीक जाकर हमें उसके बारे में जानकारी देगा। कुछ समय तक पहले ये संभव नहीं था क्योकि सूर्य का तापमान बहुत अधिक हैं। पर नई खोजों ने इस मिशन को कामयाब बनाया हैं।
इस प्रोब में एक ख़ास तरीके का कार्बन शील्ड लगा हैं जो इसे सूर्य की अत्यधिक गर्मी से बचाएगा। इस मिशन की ख़ास बात ये हैं कि सिर्फ तीन महीने के भीतर ही दिसंबर से सूर्य के पास पहुंचकर हमें उसकी तस्वीरें और जानकारी भेजने लगेगा।
टेस्ट ट्यूब आर्टिफीसियल न्यूरल नेटवर्क मॉलिक्युलर लिखाई को पहचानने में सक्षम बना
हाल ही में वैज्ञानिकों ने टेस्ट ट्यूब आर्टिफीसियल न्यूरल नेटवर्क का निर्माण DNA से किया हैं। इस नए प्रयोग में परिणाम क्रन्तिकारी हो सकते हैं। ये भविष्य में बनने वाली सभी वस्तुओं की मॉलिक्यूल से बनने की सम्भावना को दर्शाता हैं जिससे सभी निर्मित वस्तुए पर्यावरण की प्रति ज्यादा संवेदनशील बनेंगी। पुराने सभी कम्प्यूटर में कठिन कार्यों में लेखन को पहचानना सबसे कठिन हैं पर टेस्ट ट्यूब आर्टिफीसियल न्यूरल नेटवर्क से ये संभव हैं। अपने परीक्षण के
No comments:
Post a Comment