महिला समानता और अधिकार को लेकर नित नए बहस के बीच यह बात सामने आए है कि देश की 50 फीसदी कामकाजी महिलाओं को महज 30 साल की उम्र में अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए नौकरी छोड़नी पड़ती है। अशोका यूनिवर्सटी के जेनपैक्ट सेंटर फॉर वूमेंस लीडरशिप (जीसीडब्ल्यूएल) द्वारा ‘प्रिडिकामेंट ऑफ रिटर्निग मदर्स’ नाम से जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि मां बनने के बाद महज 27 फीसदी महिलाएं ही अपने कॅरियर को आगे बढ़ा पाती हैं और वे कार्यबल का हिस्सा बनी रहती हैं।
यह रिपोर्ट कामकाजी महिलाओं की चुनौतियों पर करवाए गए एक अध्ययन के आधार पर तैयार की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में सिर्फ 16 फीसदी महिलाएं ही अपने कॅरियर में वरिष्ठ नेतृत्व अर्थात सीनियर लीडरशिप की भूमिका हासिल कर पाती हैं। रिपोर्ट में कार्यस्थल पर महिला-पुरुष के बीच भेदभाव की बात भी सामने आई है।
इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि गर्भावस्था, बच्चों का जन्म, बच्चों की देखभाल, वृद्धों की देखभाल, पारिवारिक समर्थन की कमी और कार्यस्थल का परिवेश आदि कई कारक हैं, जिसकी वजह से महिलाओं को काम से दूरी बनाना पड़ता है। साथ ही इन्हीं कारणों से ऑफिस में अग्रणी भूमिका निभाने से भी महिलाएं बचती हैं। रिपोर्ट में कॉरपोरेट, मीडिया और विकास क्षेत्र में काम करने वाली शहरी क्षेत्र की महिलाओं को शामिल किया गया था।
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