काशी सत्संग: कार्यार्थी भजते लोकं... - Kashi Patrika

काशी सत्संग: कार्यार्थी भजते लोकं...

कार्यार्थी भजते लोकं
    यावत्कार्य न सिद्धति ।
उत्तीर्णे च परे पारे 
नौकायां किं प्रयोजनम् ॥

अर्थ- जब तक काम पूरे नहीं होते हैं, तब तक लोग दूसरों की प्रशंसा करते हैं। काम पूरा होने के बाद लोग दूसरे व्यक्ति को भूल जाते हैं। ठीक उसी तरह जैसे, नदी पार करने के बाद नाव का कोई उपयोग नहीं रह जाता। 
इसीलिए आप अपने कार्य मे इतना व्यस्त रहें कि बुराई जैसी भावना आपके दिल और दिमाग मे प्रवेश ही न कर पाए, फिर देखिए सफलता और लोगों का प्यार आपके चरण चूमेंगे। 
चींटी से 'मेहनत' सीखिए, बगुले से 'तरकीब' और मकड़ी से 'कारीगरी'। अपने विकास के लिए अंतिम समय तक 'संघर्ष' कीजिए, क्योंकि यही जीवन है। अपनी जीवन के किसी भी दिन को कोसिए मत, क्योंकि अच्छा दिन 'खुशियां' लाता है और बुरा दिन 'अनुभव'। एक सफल जीवन के लिए यह दोनों ही जरूरी होते हैं। 
ऊं तत्सत..

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