सर्वोत्तम पक्षकार - Kashi Patrika

सर्वोत्तम पक्षकार

“समय पाय फल होत हैं, समय पाय झरी जात. सदा रहे नहीं एक सी, का रहीम पछितात.” जीवन का संघर्ष एक लम्बी डोर सा होता है और न उसका कोई आगा होता है न पीछा। डोर के अगर छोड़ को खोजने का प्रयास करेंगे तो न आगा हाथ आएगा न पीछा तो इस उधेर-बुन से बचने का सबसे अच्छा प्रयास होता है समय के साथ चलना। आज का अंशदान भी वैसा ही है।

जीवन की बहुत सी छोटी-छोटी खुशियों को अगर हम आपस में बांट के आगे बढ़ते है तो बेशक वो सफल है। हर एक क्षण अनमोल है ऐसा मेरा मानना है और वो भी आपके सर्वोत्तम पक्षकार बनकर।  किसी ने इसे रेत की तरह कहा है तो किसी ने इसे सागर की तरह फर्क देखने या शब्दों का नहीं है वो है तो बस समझ का। 

आज जितना क्षण हम विपरीत परस्थितियों से लड़ते हुए बिताते है और जितने ख़ुशी के क्षण होते है अगर उसका लेखा-जोखा बनाया जाए तो जीवन का इक लम्बा कोना हम खाली छोड़ देते है। इसके विपरीत मेरा मानना है कि आप को विपरीत परस्थितियों को दोनों हाथों से खुलकर आजमाने देना चाहिए और हर क्षण अपने को खुशियों के साथ भरते रहना चाहिए कि जब खुशियों का मौका आए तो आप सम-भाव उसका सामना कर सके। 

आपका अपना सर्वोत्तम पक्षकार। 

-सिद्धार्थ सिंह ' शून्य ' 


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