बाबा सुतनाखु का खत - Kashi Patrika

बाबा सुतनाखु का खत

गपशप


कइसन हौअल जा लोगन बाल बच्चा सब मस्ती में और सुनावल जाए।आज कल हमार तबियत कुछो नासाज चलत बाटे एही से रोज गपशप नहीं हो पावत ह। भगवान से मनावल जाए के इ गर्मी और ई आये वाले जाड़ा काट जाए तब तनिक दिन आराम से जियब जाइ।

चला ई सब रोए धोए का बात हटवा और कुछ मिजाज का बात कराल जाए। सतुआ तो लोगन पिया ल कि नाहि जानत बाड़ी पर गर्मी वदे ए से बढ़िया कौनो पेय नाही बाटे।  रोज अगर गर्मी भर एक गिलास सतुआ पिए के मिल जाए ता एक टाईम का भोजन नहिओ सही। हमरे गावे में एकर रिवाज बिहार से आयल है लेकिन जे चीज सही बाटे ओ के अपनावे में हमनी की कौनो गुरेज नहीं होएख चाही एही बड़े तू लोगन के भी कही ला।

और खरपत्तू निक होउए हमसे आज कल घनिष्ठता ढेर होएल जात है एही से गाहे बगाहे उनकरो जिक्र खत में कर देत बानी।

बाकि मिले पे।

- बाबा सुतनखु


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