बाबा सुतनखु का खत - Kashi Patrika

बाबा सुतनखु का खत

 गपशप

अउर लोगन कइसन हउल जा, बाल बच्चा सब मस्ती में खेलत खात हउअन? सबके हमार नमस्कार और आदाब और ससरियकाल; देखला हमहू सीखत हई जा तू लोगन के साथै कुछ कुछ न कुछ नया। इहि से रोज एक ठे पाती जरूर लिखिला जेके तू लोगन खत कहला और हमार संपादक महोदय ओहि नाम से छपबो करलन। 

महे का खुसठ हउअन ई संपादक महोदय, इनके अन्नर दया धर्म नाम का कोई चीजे नईखे इहि खातिर ता कलम घसत बारन और जीवन भर घसबो करिहं; अगर आज हमर पाती ई छापलन तब इनके मानब कि जबान का पक्का आदमी हउअन। 

इनमे बस एख खे अच्छाई बा और उ की जबान का पक्का आदमी हउअन, अइसन लोग आजकल कम मिललन एही से इनके मनबो करीला।   

जानत बाड़ी खत जइसन लिखले हई वइसने छपी इहि से तू लोगन बदे एक ज्ञान का बात "जीवन में केहू से या कोनो काम से कभी मत डरिहा जा" काहे से की हमार मानल बा की सब काम  इंसाने करा ला अगर हमहू थोड़का मेह्नत करब ता ई काम हमसे हो जाई फिर चाहे परिस्थिति कौनो होखे। 

आगे मिले पर 

- बाबा सुतनखु 

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