एक बार एक शिष्य ने अपने गुरु से प्रश्न किया, "सवेरा तो रोज ही होता है, परन्तु शुभप्रभात क्या होता है"? गुरु ने बहुत ही सुंदर उत्तर दिया, "जीवन में जिस दिन आप अपने अंदर की बुराइयों को समाप्त कर उच्च विचार तथा अपनी आत्मा को शुद्ध करके दिन की शुरुआत करते हैं, वही शुभप्रभात होता है।
शिष्य ने दूसरा प्रश्न पूछा, "अगर भाग्य पहले से ही लिखा जा चुका है, तो कोशिश करके क्या मिलेगा?
गुरु ने फिर अप्रतिम उत्तर दिया, "क्या पता ! भाग्य में लिखा हो कि कर्म करने से ही मिलेगा! अर्थात् सदैव कर्म के प्रति लगन रखिए।
अब गुरु ने विस्तार से समझाया, "जो निःशुल्क है, वही सबसे ज्यादा कीमती है- नींद, शांति, आनंद, हवा, पानी, प्रकाश और सबसे ज्यादा हमारी सांसें। इसीलिए इन सभी का पूरी तन्मयता से उपभोग कीजिए, क्योंकि यही आपकी थाती हैं, यही आपका जीवन। ये पूरे होंगे, तो प्रभात भी शुभ होगा और किस्मत भी शुभाशुभ।"
ऊं तत्सत.."
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